नागा साधु क्यों पहनते है (सौ.सोशल मीडिया)
Mahakumbh 2025: उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का दौर चल रहा है इस धार्मिक समागम में हिस्सा लेने के लिए बड़ी संख्या में नागा साधु और श्रद्धालु पहुंच रहे है। यहां पर महाकुंभ में शाही स्नान करने का सबसे पहले मौका नागा साधु को मिलता है वे आकर्षण का केंद्र बने होते है। नागा साधुओं के 17 श्रृंगार में रूद्राक्ष को आपने देखा ही होगा वे गंगा स्नान के दौरान श्रृंगार के रूप में धारण करते है। यहां पर महाकुंभ में रूद्राक्ष धारण करने को लेकर क्या अर्थ होता है और महत्व भी चलिए जानते हैं इस लेख में…
यहां पर भगवान शिव से रूद्राक्ष का नाता जुड़ा होता है यहां पर रुद्राक्ष का मतलब रुद्र की आंखें हैं. रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं। यहां पर नागा साधु भगवान शिव के उपासक माने जाते हैं. नागा भगवान शिव की ही पूजा-अराधना करते हैं. नागा भगवान शिव को अपना आराध्य देव मानते हैं। रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ है. कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने हजारों सालों तक आंखें बंद रखीं. ध्यान में बैठे रहे इसके बाद भगवान ने अपनी आंखें खोली तो उनके आंखों से आनंद के आंसू निकल पड़े. यही आंसू धरती पर गिरे तो रुद्राक्ष बन गए।
कहा जाता है कि, भगवान भोलेनाथ को नागा साधु अपने आराध्य मानते है और रूद्राक्ष को भोलेनाख का दिव्य वरदान मानते है। यहां पर महाकुंभ में नागा साधु इसलिए रुद्राक्ष धारण करते है क्योंकि भगवान शिव से संबंध का प्रतीक होता है. मान्यता है कि वो महाकुंभ में स्वयं को नकारात्मक ऊर्जा से बचा के रखने के लिए नागा साधु रुद्राक्ष पहनते हैं। नागा साधुओं को आपने अक्सर रूद्राक्ष धारण करते देखा होगा। रुद्राक्ष की नागाओं की साधना में भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, रुद्राक्ष नागाओं को महाकुंभ में गहराई से तप करने में सहायता करता है।
यहां पर रूद्राक्ष धारण करने के फायदे होते है जो इस प्रकार है-
1- रुद्राक्ष पहनने से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
2- रुद्राक्ष पहनने से मन को शांत रहता है और तनाव में कमी आती है।
3-रुद्राक्ष पहनने से मासिक एकाग्रता बढ़ती है।
4-रुद्राक्ष पहनने से हानिकारक ग्रहों के असर में कमी आती है।
धर्म की खबरें जानने के लिए क्लिक करें –
5-रुद्राक्ष पहनने से ध्यान करने में सहायता मिलती है. रुद्राक्ष पहनने से आध्यात्मिक विकास होता है।
6-रुद्राक्ष पहनने से जीवन की मुश्किलें दूर हो जाती हैं।