
शशि थरूर, राहुल, प्रियंका
Shashi Tharoor on Indian Politics: कांग्रेस नेता और केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने देश में परिवारवाद और वंशवाद की राजनीति पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय राजनीति को “पारिवारिक व्यवसाय” बनाकर रख दिया गया है। थरूर ने इस विषय पर ‘Indian Politics Are a Family Business’ शीर्षक से एक आर्टिकल लिखा है, जिसमें उन्होंने सीधे तौर पर गांधी-नेहरू परिवार का जिक्र किया है। साथ ही, उन्होंने टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती का उदाहरण देते हुए कहा है कि जब सीधा वारिस नहीं मिला, तो इन नेताओं ने अपने भतीजों को ही उत्तराधिकारी बना दिया।
थरूर ने अपने लेख में लिखा है कि वंशवाद की राजनीति ने भारतीय लोकतंत्र को कमजोर किया है और इस सोच को मजबूत किया है कि नेतृत्व करना किसी का जन्मसिद्ध अधिकार हो सकता है।
उन्होंने लिखा, “यह विश्वास कि राजनीतिक परिवारों के लोग ही नेतृत्व करने के योग्य हैं, अब पंचायत से लेकर संसद तक हमारी शासन प्रणाली में गहराई से पैठ बना चुका है। लेकिन जब चुने हुए पद को खानदानी विरासत मान लिया जाता है, तो शासन की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है।”
थरूर ने कांग्रेस की राजनीति पर भी सवाल उठाए और कहा, “दशकों तक एक ही परिवार ने भारतीय राजनीति पर प्रभुत्व बनाए रखा है। नेहरू-गांधी परिवार जिसमें जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं, स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास से जुड़ा जरूर है, लेकिन इसी ने यह धारणा भी मजबूत की कि राजनीतिक नेतृत्व जन्म से तय होता है।”
थरूर ने लिखा, “ममता बनर्जी और कुमारी मायावती जैसी महिला नेताओं ने भी, जिनके कोई सीधे वारिस नहीं हैं, अपने भतीजों को ही उत्तराधिकारी के रूप में आगे बढ़ाया है।”
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थरूर का कहना है कि अब समय आ गया है कि भारत की राजनीति में परिवारवाद की जगह योग्यता और काबिलियत को प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि नेताओं के कार्यकाल की समय सीमा तय की जाए, पार्टियों के अंदर लोकतांत्रिक चुनाव सुनिश्चित किए जाएं और जनता को इतना जागरूक बनाया जाए कि वे उम्मीदवारों का चयन उनकी योग्यता के आधार पर करें।






