
राहुल गांधी और थरूर
Shashi Tharoor-Congress News: कांग्रेस पार्टी के भीतर लंबे समय से चल रही वैचारिक खींचतान पर एक नया मोड़ आ गया है, जब कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक ट्विटर यूजर के विश्लेषण पर टिप्पणी की। यूजर ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी में शशि थरूर और राहुल गांधी दो अलग-अलग विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। एक शहरी, संस्थागत और सुधारवादी दृष्टिकोण को अपनाता है, जबकि दूसरा ग्रामीण सेंट्रिक जनवादी पार्टी की रणनीति पर जोर देता है। इस विश्लेषण पर शशि थरूर ने कहा, “आपका विश्लेषण विचारशील है। पार्टी में हमेशा एक से अधिक प्रवृत्तियां रही हैं और आपका फ्रेमवर्क मौजूदा हकीकत को दर्शाता है।”
ट्विटर यूजर के अनुसार, कांग्रेस में आज दो प्रमुख विचारधाराएं हैं। पहली का प्रतिनिधित्व शशि थरूर करते हैं, जो शहरी और संस्थागत दृष्टिकोण से जुड़े हैं, जबकि दूसरी का प्रतिनिधित्व राहुल गांधी करते हैं, जो ग्रामीण और जनवादी दृष्टिकोण पर जोर देते हैं। यूजर का यह भी कहना है कि समस्या इस बात में नहीं है कि दोनों विचारधाराएं एक साथ नहीं रह सकतीं, बल्कि कांग्रेस इस स्थिति में नहीं है कि वह किसी एक को चुन पाए या दोनों को एकीकृत कर सके।
शशि थरूर उस कांग्रेस प्रवृत्ति से जुड़े हैं, जो 90 के दशक में उभरी थी। यह प्रवृत्ति शहरी चेहरा, संस्थागत दृष्टिकोण और आर्थिक सुधारों के अनुकूल रही थी। उस समय कांग्रेस के नेता जैसे पी.वी. नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह, एस.एम. कृष्णा और मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने नीतियों, संस्थाओं और प्रशासनिक दक्षता पर जोर दिया था, न कि जन-आंदोलन या सांस्कृतिक जुड़ाव पर। हालांकि, ये शहरी नेतृत्व बार-बार कांग्रेस में हाशिए पर गया है। विडंबना यह है कि इन नेताओं को आज की कांग्रेस की तुलना में दक्षिणपंथी खेमे से ज्यादा सम्मान मिला।
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वहीं, राहुल गांधी कांग्रेस के उस रणनीतिक बदलाव का प्रतीक हैं, जिसे पार्टी ने 2010 के बाद अपनाया था। इस बदलाव का उद्देश्य बीजेपी के प्रभुत्व को चुनौती देना था। कांग्रेस ने खुद को एक ग्रामीण, शिकायत-आधारित जनपार्टी के रूप में पेश किया, लेकिन यह बदलाव चुनावी परिणामों में विफल साबित हुआ। सबसे बड़ा विरोधाभास यह है कि इस रणनीतिक बदलाव का नेतृत्व करने वाले राहुल गांधी खुद भारतीय राजनीति के सबसे एलीट और संरक्षित चेहरे हैं।






