पूर्व IAS ट्रेनी पूजा खेडकर
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फर्जी प्रमाण पत्र मामले में पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) ट्रेनी पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत दे दी। पूजा खेडकर पर 2022 की सिविल सेवा परीक्षा में पात्रता प्राप्त करने के लिए दस्तावेजों में जालसाजी का आरोप है। इसका खुलासा होने के बाद पूजा के खिलाफ जांच चल रही है।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए खेडकर को अग्रिम जमानत दी। कोर्ट ने जमानत देते हुए खेडकर को ये निर्देश भी दिया कि वह धोखाधड़ी मामले की जांच में सहयोग करे। हालांकि, दिल्ली पुलिस के वकील ने खेडकर की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने जांच में असहयोग किया है और उनके खिलाफ आरोप गंभीर हैं।
दिल्ली पुलिस के वकील के तर्क में पीठ ने कहा कि आरोपी ने कौन सा गंभीर अपराध किया है। ना तो वह आतंकवादी है और ना ही ड्रग माफिया। उन पर हत्या का आरोप नहीं है। और वे एनडीपीएस अधिनियम के तहत भी अपराधी नहीं हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि आपके पास कोई सिस्टम या सॉफ्टवेयर होना चाहिए, जिससे इस तरह की जांच समय पर हो। उसने सब कुछ खो दिया है, अब कहीं नौकरी नहीं मिलेगी।
SC grants anticipatory bail to former IAS trainee Puja Khedkar in fraud case
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— ANI Digital (@ani_digital) May 21, 2025
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्हें इस मामले में पहले ही आरोपी को जमानत दे देनी चाहिए थी। दिल्ली पुलिस के वकील ने जमानत का विरोध किया और कहा कि पूजा जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं।
पूजा खेडकर ने साल 2022 में संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में पूजा ने ऑल इंडिया रैंक (AIR) 841 हासिल की। उनका चयन आईएएस पद के लिए हुआ और उन्हें महाराष्ट्र कैडर का 2023 बैच का आईएएस नियुक्त किया गया था। लेकिन ट्रेनिंग के दौरान उन पर सुविधाएं मांगने का आरोप लगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर पर कब्जा करने की शिकायत भी सामने आई। उन्होंने अपनी निजी ऑडी कार में लाल बत्ती और ‘महाराष्ट्र सरकार’ की प्लेट लगवाई।
जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया। बाद में मामले की जांच की गई तो पता चला कि उन्होंने यूपीएससी में चयन पाने के लिए फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया। जांच आगे बढ़ी तो कई और चौंकाने वाले खुलासे हुए।