SC ने निमिषा प्रिया मामले में गैग आर्डर की याचिका खारिज की (फोटो- सोशल मीडिया)
Nimisha Priya Gag Order Petition: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मामले में मीडिया में दिए जा रहे “असत्यापित सार्वजनिक बयानों” पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता के.ए. पॉल से कहा कि इस संवेदनशील मामले में केवल केंद्र सरकार ही आधिकारिक रूप से बयान देगी। पीठ ने याचिकाकर्ता को फटरकार लगाते हुए पूछा कि, “आप क्या चाहते हैं? कि कोई भी मीडिया से बात न करे? अटॉर्नी जनरल ने भरोसा दिया है कि सरकार ही इस पर बोलेगी। और क्या चाहिए?”
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने अदालत को बताया कि यह एक अत्यंत संवेदनशील मामला है और जब तक यह मामला लंबित है, कोई मीडिया ब्रीफिंग नहीं होगी। इसके बाद याचिका को वापस ले लिया गया और अदालत ने इसे खारिज कर दिया। पॉल ने कोर्ट को बताया कि निमिषा प्रिया ने मीडिया में पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए कानूनी हस्तक्षेप की मांग की थी, क्योंकि इस समय कुछ लोग भ्रामक और झूठे बयान दे रहे हैं, जिससे चल रही राजनयिक बातचीत पर असर पड़ सकता है।
याचिका में केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह यमन के साथ मिलकर तत्काल राजनयिक प्रयास करे ताकि प्रिया की मौत की सजा को उम्रकैद में बदला जा सके। साथ ही, इसमें यह भी आग्रह किया गया था कि सरकार एक सक्षम अदालत में समयबद्ध मीडिया गैग ऑर्डर के लिए आवेदन करे ताकि कोई भी व्यक्ति अधिकृत एजेंसी की पुष्टि के बिना कोई भी जानकारी सार्वजनिक न कर सके। इससे पहले 14 अगस्त को हुए सुवाई में सरकार ने अदालत को बताया था कि 16 जुलाई को निर्धारित प्रिया की फांसी पर फिलहाल रोक लगी हुई है और उन्हें बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
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प्रिया को 2017 में अपने यमनी साझेदार की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी और 2023 में उनकी अंतिम अपील भी खारिज हो गई। वे फिलहाल यमन की राजधानी सना की एक जेल में बंद हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)