समय रैना, फोटो: सोशल मीडिया
Supreme Court on Youtubers: सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगजनों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों का मजाक उड़ाने वाले कॉमेडियंस पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि ऐसे मामले केवल माफी तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि जिम्मेदारी तय की जाएगी ताकि समाज में सम्मान और संवेदनशीलता बनी रहे।
कॉमेडियन समय रैना, विपुन गोयल, बलराज घई, सोनाली ठक्कर और निशांत तंवर पर आरोप था कि उन्होंने अपने शो और वीडियो में दिव्यांगों और गंभीर शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे मरीजों का मजाक उड़ाया। इस पर क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया नामक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। यह संस्था स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) के मरीजों और उनके परिवारों के लिए काम करती है। संस्था का कहना था कि इस तरह के मजाक न केवल पीड़ितों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि समाज में विकलांगता और बीमारियों को लेकर गलत धारणा भी पैदा करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची शामिल थे, ने सुनवाई के दौरान इस पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने सभी पांचों कॉमेडियंस से बिना शर्त माफी मंगवाई। साथ ही, कोर्ट ने आदेश दिया कि यह माफी सिर्फ कोर्ट में ही नहीं, बल्कि उनके यूट्यूब चैनलों और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी सार्वजनिक रूप से पोस्ट की जाए। इसके अलावा उन्हें भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने और अपने मंचों के जरिए दूसरों को भी जागरूक करने का निर्देश दिया गया।
पांचों कॉमेडियंस ने कोर्ट के सामने पेश होकर माफी मांगी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी। यानी अब उन्हें बार-बार कोर्ट आकर पेश होने की जरूरत नहीं होगी। सुनवाई के दौरान केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कोर्ट को बताया कि सरकार ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए नई गाइडलाइंस तैयार कर रही है। इन गाइडलाइंस में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कॉमेडी, ह्यूमर और मनोरंजन के नाम पर किसी व्यक्ति या समूह की गरिमा को ठेस न पहुंचे।
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कोर्ट को बताया कि कॉमेडियन और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स के लिए नियम बनाए जाएंगे, ताकि वे एक सीमा के अंदर रहकर ही सामग्री पेश करें। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि गाइडलाइंस को केवल इस मामले को ध्यान में रखकर नहीं बनाया जाए, बल्कि उन्हें व्यापक दृष्टिकोण के साथ तैयार किया जाए। साथ ही विशेषज्ञों की राय भी शामिल की जाए।
कोर्ट ने इस याचिका को हाल ही में हुए “इंडिया गॉट लेटेंट शो” विवाद से भी जोड़ दिया, जिसमें यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप लगे थे। इससे साफ है कि सुप्रीम कोर्ट अब ऑनलाइन कंटेंट और डिजिटल मनोरंजन पर सख्ती दिखाने के मूड में है।
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अब यह मामला सिर्फ कुछ कॉमेडियंस तक सीमित नहीं है। यह समाज में सम्मान, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी को लेकर बड़ा संदेश देता है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और सरकार की ओर से आने वाली गाइडलाइंस यह तय करेंगी कि भविष्य में कॉमेडी और मनोरंजन के नाम पर किसी की गरिमा से खिलवाड़ न हो।