
पाकिस्तान के पहले CDF मुनीर का विवादित बयान, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Asim Munir Statement: पाकिस्तान के पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (सीडीएफ) आसिम मुनीर ने अपने शुरुआती भाषण में एक बार फिर आक्रामक रुख दिखाया। उन्होंने ‘अटैक इज द बेस्ट डिफेंस’ की नीति को दोहराते हुए भारत और अफगानिस्तान पर कड़े बयान दिए और पाकिस्तान की सैन्य क्षमता पर किसी भी तरह के शक को निराधार बताया।
नए सीडीएफ हेडक्वार्टर में तीनों सेनाओं को संबोधित करते हुए मुनीर ने अफगान तालिबान को सीधे चेतावनी दी। मीडिया आउटलेट ‘जियो’ के मुताबिक उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को यह तय करना होगा कि वह ‘फितना अल-खवारी’ का साथ देगा या पाकिस्तान का। उनके अनुसार, अफगानिस्तान के पास तीसरा कोई विकल्प नहीं है। हाल के महीनों में बढ़ते सीमा तनाव और आतंकी घटनाओं के संदर्भ में यह बयान अहम माना जा रहा है।
मुनीर ने भारत के खिलाफ भी पुराना तेवर दोहराया। उन्होंने दावा किया कि यदि किसी भी तरह की कार्रवाई होती है तो पाकिस्तान की प्रतिक्रिया “पहले से अधिक तेज, प्रचंड और कहीं ज्यादा सख्त” होगी। यह बयान उस समय आया है जब पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों से जूझ रहा है फिर भी सैन्य नेतृत्व लगातार भारत को लेकर कठोर भाषा अपनाए हुए है।
अपने पद को लेकर उठ रहे सवालों पर भी उन्होंने स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि सीडीएफ पद का उद्देश्य तीनों सेनाओं में दखल देना नहीं है बल्कि एक मजबूत और एकीकृत कमान प्रणाली विकसित करना है। तीनों सेवाओं की स्वायत्तता कायम रहेगी और हर सर्विस अपनी पहचान के साथ काम करती रहेगी।
मुनीर ने आगे कहा कि आधुनिक सुरक्षा परिदृश्य में मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स की आवश्यकता और बढ़ गई है। इसलिए एक यूनिफाइड ट्राई-सर्विसेज फ्रेमवर्क अनिवार्य है, जिससे इंटर-सर्विस तालमेल बेहतर होगा और ऑपरेशनल क्षमता भी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि डिफेंस फोर्सेज हेडक्वार्टर का गठन इसी दिशा में एक बड़ा कदम है, जो सभी क्षेत्रों में सामरिक सहयोग को सुचारू बनाएगा।
मुनीर ने पाकिस्तान को शांति पसंद देश बताते हुए कहा कि शांति की इच्छा को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान अपनी क्षेत्रीय अखंडता और जमीनी एकता से किसी भी स्थिति में समझौता नहीं करेगा।
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मुनीर का यह भाषण पाकिस्तान की नई रक्षा संरचना और पड़ोसी देशों के प्रति उसकी रणनीतिक नीति का संकेत देता है। जहां एक ओर वह भारत और अफगानिस्तान को लेकर कड़ा रुख दिखा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर घरेलू स्तर पर सैन्य समन्वय बढ़ाने पर जोर भी दे रहे हैं।






