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Supreme Court Hearing on SIR: बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट स्पेशल इन्टेंसिव रिवीजन (SIR) को चुनाती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष अदालत ने प्रकिया को लेकर एक बड़ी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी विपक्षी दलों और एसआईआर की खिलाफत करने वालों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
बुधवार को मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने हुई। जिसमें जस्टिस बागची ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा कि हम समझ रहे हैं कि आप आधार के बारे में बात कर रहे हैं। पहचान पत्रों की संख्या बढ़ाना वोटर-फ्रेंडली कदम है। उन्होंने कहा कि पहले 7 दस्तावेज मान्य थे, अब 11 हैं, जिससे लोगों के पास और विकल्प होंगे।
इस दौरान भारत के भावी सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर कोई कहता है कि सभी 11 दस्तावेज जरूरी हैं, तो यह एंटी-वोटर होगा, लेकिन अगर कहा जाता है कि 11 विश्वसनीय दस्तावेजों में से कोई भी दें तो?” इस लिहाज से तो यह वोटर फ्रेंडली है।
जजों की टिप्पणियों के बाद याचिकाकर्ताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जस्टिस बागची की टिप्पणी पर कहा कि वह उनसे असहमत हैं और बताया कि असल में यह एक्सक्लूजनरी है। उन्होंने कहा कि “(1) आधार शामिल नहीं है, यह एक्सक्लूजनरी है। जबकि यह वह दस्तावेज है जिसका कवरेज सबसे अधिक है।
इसके इलावा पानी बिजली, गैस कनेक्शन को SIR में मांगे गए डॉक्यूमेंट्स में शामिल नहीं किया गया है। इंडियन पासपोर्ट है लेकिन उसकी कवरेज 1-2% है। संख्या के संदर्भ में, वे प्रभावित करने के लिए इसे बरकरार रख रहे हैं, लेकिन स्वभाव से, यह न्यूनतम कवरेज वाला दस्तावेज है।
सिंघवी ने आगे कहा कि अन्य सभी दस्तावेजों का कवरेज 0 से 2 या 3 फीसदी के बीच है। जिसके पास जमीन नहीं है उनके लिए दस्तावेज 5,6,7 अर्थहीन है। ऐसे में मुझे आश्चर्य है कि बिहार में कितने लोग इसके लिए योग्य होंगे? बिहार में निवास प्रमाण पत्र मौजूद नहीं है। फॉर्म 6 में केवल सेल्फ-डिक्लेरेशन की जरूरत होती है।
जब जस्टिस बागची ने कहा कि क्या यह आपत्ति के लिए पर्याप्त है तो सिंघवी बोले कि आपत्ति इसलिए है क्योंकि यह चुनाव से एक महीने पहले करवाया जा रहा है। बाद में करवाइए, इसमें पूरा साल लग जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग 11 दस्तावेजों का हवाला देखर प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।
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जब पासपोर्ट को लेकर अभिषेक मनु सिंघवी तर्क दे रहे थे कि बिहार में इस दस्तावेज की अधिकतम कवरेज नहीं हो सकती। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि बिहार को कमतर न आंका जाए। आज भी सबसे ज्यादा IAS और IFS यहीं से आते हैं। अंत में सिंघवी ने दोहराया कि किसी को गहन पुनरीक्षण से समस्या नहीं है, लेकिन दो महीने में इसे लागू करना व्यावहारिक नहीं है।