सुप्रीम कोर्ट (डिजाइन फोटो)
Supreme Court: दिवाली नजदीक है और एक बार फिर पटाखों पर प्रतिबंध बनाम परंपरा की बहस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। इस बार मामला “हरित पटाखों” का है और सुनवाई के दौरान अदालत में ऐसा पल आया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खुद CJI बी.आर. गवई से मुस्कुराते हुए कहा, “हम सब भी तो बच्चे थे मीलॉर्ड!”
दरअसल, एनसीआर के राज्यों ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया है कि दिल्ली-एनसीआर में हरित पटाखे जलाने की अनुमति दी जाए। सुनवाई शुक्रवार (10 अक्टूबर) को हुई, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी।
एनसीआर के राज्यों ने कहा कि वे पूरी तरह से हरित पटाखे (Green Firecrackers) के पक्ष में हैं और इन्हें राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (NEERI) द्वारा प्रमाणित किया जाएगा। इसके साथ ही राज्यों ने सुझाव दिया कि किसी भी ई-कॉमर्स वेबसाइट को ऑनलाइन पटाखे बेचने की अनुमति न दी जाए।
राज्यों ने यह भी प्रस्ताव रखा कि दिवाली पर रात 8 बजे से 10 बजे तक ही पटाखे फोड़े जाएं, क्रिसमस और न्यू ईयर की पूर्व संध्या पर रात 11:55 से 12:30 बजे तक सीमित अनुमति दी जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस पर कोई आदेश नहीं दिया, और मामले पर आगे विचार करने का संकेत दिया है।
सुनवाई के दौरान CJI गवई ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, “क्या 2018 में प्रदूषण का स्तर (AQI) 2024 की तुलना में कम था?” इस पर मेहता ने जवाब दिया, “कोविड के दौरान यह थोड़ा कम हुआ था, अन्यथा प्रदूषण का स्तर लगभग वैसा ही रहा है। रिकॉर्ड में ऐसा कुछ नहीं है जिससे साबित हो कि सिर्फ पटाखों की वजह से प्रदूषण बढ़ा।”
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“मैं निवेदन करता हूं कि पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध न लगाया जाए। अगर दो घंटे की अनुमति दी जाती है, तो एक घंटा तो बच्चों को समझाने में ही निकल जाता है! हम सब भी तो बच्चे थे मीलॉर्ड!” मेहता की इस टिप्पणी पर कोर्टरूम में हल्की हंसी गूंजी, मगर अदालत ने स्पष्ट किया कि वह वायु प्रदूषण को लेकर गंभीर है और इस पर जल्द फैसला सुनाया जाएगा। अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि इस साल दिल्ली-एनसीआर में हरित पटाखों को मंजूरी मिलेगी या नहीं।