अमेरिकी विमान C-17,फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत डेस्क: नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: शनिवार देर रात 11:38 बजे श्री गुरु रामदास इंटरनेशनल एयरपोर्ट, अमृतसर पर अमेरिकी सेना का एक विमान उतरा, जिसमें 116 अवैध प्रवासी भारत लौटे। इनमें सबसे अधिक 67 लोग पंजाब से थे, जबकि 33 हरियाणा के निवासी थे। इसके अलावा, गुजरात के 8, उत्तर प्रदेश के तीन, गोवा, राजस्थान और महाराष्ट्र के दो-दो, तथा हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के एक-एक व्यक्ति शामिल थे।
भारतीय नागरिकों के साथ विमान में अमेरिकी सरकार के कुछ अधिकारी, क्रू मेंबर और अमेरिकी सेना के जवान भी मौजूद थे। भारत पहुंचने के बाद संबंधित राज्यों के प्रवासियों को उनके गृह राज्य भेज दिया गया
रिपोर्टों के मुताबिक, निर्वासन का सामना करने वाले अधिकांश लोग 18 से 30 वर्ष की उम्र के बीच के हैं। दावा किया जा रहा है कि इस बार भी अमेरिका से लौटाए गए सभी भारतीयों को हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां डालकर लाया गया है।
एयरपोर्ट पहुंचने पर सभी भारतीय नागरिकों को क्रमशः बाहर निकाला गया। वहां मौजूद भारत सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी उनकी निगरानी कर रहे थे। एयरपोर्ट के अंदर सबसे पहले सभी के दस्तावेजों की जांच की गई और यह सुनिश्चित किया गया कि किसी का आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं है। आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया। इस बार भी, पहले की तरह, अमेरिकी सेना के इस विमान को एविएशन क्लब की ओर लैंड कराया गया।
सूत्रों के अनुसार, 16 फरवरी को एक तीसरा विमान 157 निर्वासितों को लेकर भारत पहुंचने की संभावना है। लेकिन अभी तक इसके को लेकर अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है कि ये कब तक भारत आएगा।
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बता दें कि इससे पहले, 5 फरवरी को एक अमेरिकी सैन्य विमान 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को अमृतसर हवाई अड्डे पर लेकर आया था। इन प्रवासियों में 33-33 लोग हरियाणा और गुजरात से थे, जबकि 30 पंजाब से थे। निर्वासितों के परिवारों ने बताया कि उन्होंने अपने प्रियजनों को बेहतर भविष्य दिलाने के लिए कृषि भूमि और मवेशियों को गिरवी रखकर धन जुटाया था ताकि वे विदेश जा सकें।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि विदेशों से लौट रहे भारतीयों को पूरा सम्मान मिलेगा, चाहे वे किसी भी तरीके से वहां गए हों। उन्होंने आश्वासन दिया कि वापस आने वाले युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार दिया जाएगा, ताकि वे अपने देश में ही आजीविका कमा सकें।