केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस नेता पवन खेड़ा (फोटो- सोशलम मीडिया)
नई दिल्ली: आपातकाल की 50वीं बरसी पर देश में राजनीति गरमा गई है। एक तरफ जहां केंद्र सरकार इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मना रही है, वहीं विपक्ष इसे सत्ता का दुरुपयोग बताकर सत्ताधारी दल को घेर रहा है। इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा अपनी दादी विजया राजे सिंधिया को याद करना कांग्रेस को नागवार गुज़रा। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए पूछा कि क्या भाजपा में रहते हुए सिंधिया अपने पिता माधवराव सिंधिया को भूल गए हैं?
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि उनकी दादी ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया और आपातकाल के दौरान उन्हें जेल की यातना भी झेलनी पड़ी। उन्होंने लिखा, “राजसी जीवन त्यागकर उन्होंने जनता की सेवा का मार्ग चुना और कभी झुकी नहींं।” सिंधिया का यह बयान भाजपा के ‘संविधान हत्या दिवस’ अभियान का हिस्सा माना गया।
कांग्रेस के तीखे सवाल पिता को क्यों भुले
सिंधिया के इस बयान पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया, “प्रिय महाराज, आप अपने पूज्य पिताजी का कभी जिक्र क्यों नहीं करते? क्या भाजपा का प्रचार करते हुए आप उन्हें पूरी तरह भुला देंगे?” खेड़ा ने याद दिलाया कि माधवराव सिंधिया इंदिरा गांधी की सरकार में 1980 में सांसद बने थे और उन्होंने हमेशा संघ की विचारधारा का विरोध किया। खेड़ा ने बताया कि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि माधवराव सिंधिया ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में आस्था रखते हुए आपातकाल में भी कांग्रेस के साथ रहना चुना, न कि विरोध की राजनीति।
कांग्रेस ने RSS पर भी साधा निशाना
पवन खेड़ा ने सिर्फ सिंधिया ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को भी घेरा। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान आरएसएस प्रमुख बालासाहेब देवरस ने इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर बधाई दी थी और खुद को विरोध आंदोलन से अलग कर लिया था। खेड़ा ने कटाक्ष करते हुए लिखा, पिता मच्छर नहीं मार पाए, बेटा खुद को योद्धा बताता है। उन्होंने संघ के संघर्ष को ‘चावल के एक दाने पर लिखा जा सकने वाला’ बताया।
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सिंधिया और कांग्रेस के बीच यह वाकयुद्ध न सिर्फ एक राजनीतिक विवाद को जन्म देता है, बल्कि यह दिखाता है कि आपातकाल की स्मृति आज भी भारतीय राजनीति में कितनी गहरी धंसी हुई है।