संयुक्त कमांडर सम्मेलन कोलकाता में पीएम करेंगे उद्घाटन (फोटो - सोशल मीडिया)
Narendra Modi Inaugurate Commanders’ Conference: भारत की सैन्य तैयारियों और भविष्य की रणनीतियों को नई दिशा देने के लिए आज से तीनों सेनाओं का संयुक्त कमांडर सम्मेलन कोलकाता में शुरू हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस तीन दिवसीय महामंथन का उद्घाटन करेंगे। यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता और सीमा वर्ती क्षेत्रों में लगातार गतिविधियां बढ़ी हैं। इसलिए, इस बैठक को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसमें देश का शीर्ष सैन्य और नागरिक नेतृत्व एक साथ बैठकर भविष्य की चुनौतियों पर विचार करेगा।
इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में प्रधानमंत्री के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुख हिस्सा लेंगे। यह सम्मेलन सशस्त्र बलों के लिए एक सर्वोच्च विचार-मंथन मंच है, जहां रणनीतिक स्तर पर विचारों का आदान-प्रदान होता है। इस साल की थीम ‘सुधारों का वर्ष – भविष्य के लिए परिवर्तन’ रखी गई है, जो सेनाओं के आधुनिकीकरण और बदलाव के संकल्प को दर्शाता है।
दशकों बाद पहली बार संयुक्त कमांडर सम्मेलन का आयोजन कोलकाता में किया जा रहा है, जिसका अपना एक विशेष रणनीतिक महत्व है। कोलकाता सेना की पूर्वी कमान का मुख्यालय है, जिस पर चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम सेक्टरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब पड़ोसी देश नेपाल में हाल ही में तख्तापलट हुआ है और बांग्लादेश में भी पिछले साल राजनीतिक उथल-पुथल देखी गई थी। इन दोनों देशों की सीमाएं पश्चिम बंगाल से लगती हैं, जिससे इस क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियां बढ़ गई हैं।
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इस तीन दिवसीय सम्मेलन में सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल और एकीकरण पर जोर दिया जाएगा। थिएटर कमांड की स्थापना, जो तीनों सेनाओं को एक साथ मिलकर काम करने में सक्षम बनाएगी, चर्चा का एक प्रमुख केंद्र बिंदु होगी। इसके अलावा, सम्मेलन में नई तकनीकों जैसे ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और साइबर युद्ध की क्षमताओं को अपनाने पर भी विचार-विमर्श होगा। जमीनी स्तर के अनुभव को चर्चा में शामिल करने के लिए सभी रैंकों के सैनिकों और अधिकारियों के साथ विशेष वार्ता सत्र भी आयोजित किए जाएंगे, ताकि नीतियां और रणनीतियां जमीनी हकीकत के अनुरूप हों। यह सम्मेलन भारत की सैन्य रणनीति को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने में एक मील का पत्थर साबित होगा।