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नई दिल्ली: देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आज प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन सुनने के लिए लाल किले पर एकत्र हुए गणमान्य व्यक्तियों और आम लोगों का स्वागत हल्की बारिश ने किया लेकिन इस दौरान अत्यधिक उमस से भी कई लोगों को असुविधा हुई। लेकिन फिर भी लोगों के उत्साह में कोई कमी नही आई।
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर PM मोदी ने आज कहा कि, इसके लिए देश को आगे आना होगा। भारत की प्रगति के लिए इस सपने को पूरा करना होगा। मैं सभी पार्टियों से अपील करता हूं कि वो जल्ग ही इसके लिए आगे आएं। उन्होने आगे कहा कि देश में बार-बार चुनाव प्रगति को रोक रहे हैं। हर योजना चुनाव के रंग से रंग दिया गया। सभी दलों ने अपने विचार रखें हैं। एक कमेटी ने इस पर रिपोर्ट बनाई। वन नेशन वन इलेक्शन सामने आया है। इस सपने को साकार करने के लिए सभी राजनीतिक दलों से साथ आने को कहता हूं।
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PM मोदी ने यह भी कहा कि, “संविधान को समझने वाले लोगों से आग्रह करता हूं कि भारत की तरक्की के लिए, भारत के संसाधनों का सर्वाधिक उपयोग जन सामान्य के लिए हो सके, इसके लिए वन नेशन वन इलेक्शन के लिए हम सब को आगे आना चाहिए। ”
जानकारी दें कि उच्च स्तरीय समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था जिसमें 47 राजनीतिक दलों ने जवाब दिया। इसमें 32 पार्टियों ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया वहीं 15 राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया।
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खबरों के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली कमेटी ने पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है। वहीं इसके बाद 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की भी सिफारिश की है। इस समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा कि त्रिशंकु स्थिति या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी स्थिति में नयी लोकसभा के गठन के लिए नए सिरे से फिर चुनाव कराए जा सकते हैं।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लोकसभा के लिए जब नए चुनाव होते हैं, तो उस समय सदन का कार्यकाल ठीक पहले की लोकसभा के कार्यकाल के शेष समय के लिए ही होगा। जब राज्य विधानसभाओं के लिए नए चुनाव होते हैं, तो ऐसी नई विधानसभाओं का कार्यकाल -अगर जल्दी भंग नहीं हो जाएं तो लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल तक वह रहेगा।
इस बाबत एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि संविधान के मौजूदा प्रारूप को ध्यान में रखते हुए समिति ने अपनी सिफारिशें इस तरह तैयार की हैं कि वे संविधान की भावना के अनुरूप हैं और उसके लिए संविधान में संशोधन करने की बस नाममात्र की ही जरूरत है।