प्रतीकात्मक फोटो, सोर्स- सोशल मीडिया
PIL in SC for AI: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अनियंत्रित उपयोग से नागरिकों की निजता, गरिमा और मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हो रहा है। इसी खतरे को देखते हुए याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। PIL में मांग की गई है कि केंद्र सरकार AI टेक्नोलॉजी के लिए तुरंत एक व्यापक नियामक और लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क तैयार करे।
देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी के तेजी से बढ़ रहे दुरुपयोग के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। एक जनहित याचिका के माध्यम से अदालत से यह मांग की गई है कि वह केंद्र सरकार को निर्देश दे कि AI टेक्नोलॉजी के लिए तत्काल एक व्यापक नियामक और लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क तैयार किया जाए।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि एआई आधारित सिस्टम का अनियंत्रित उपयोग नागरिकों की निजता, गरिमा और मौलिक अधिकारों का गंभीर रूप से उल्लंघन कर रहा है।
याचिका में विशेष रूप से डीपफेक तकनीक के दुरुपयोग में हुई बढ़ोत्तरी पर चिंता व्यक्त की गई है।
याचिका के मुताबिक, बिना किसी नियंत्रण या जवाबदेही के AI आधारित सिस्टम का इस्तेमाल करके लोगों की आवाज, चेहरा और व्यवहार की नकल तैयार की जा रही है, जिसे ‘डीपफेक’ कहा जाता है। हाल के महीनों में इस तकनीक ने न केवल आम नागरिकों को, बल्कि पत्रकारों, सेलिब्रिटीज और बड़ी हस्तियों तक को निशाना बनाया है। इस दुरुपयोग के गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं, जिनमें लोगों की छवि धूमिल होना, साइबर अपराध में वृद्धि, ब्लैकमेलिंग और फेक न्यूज का प्रसार शामिल है।
इन बढ़ते खतरों को कम करने के लिए, PIL में सुप्रीम कोर्ट से कई महत्वपूर्ण निर्देश देने की अपील की गई है। एक प्राथमिक मांग यह है कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय एआई रेगुलेटरी बॉडी (National AI Regulatory Body) बनाने का निर्देश दिया जाए। इस संस्था का मुख्य कार्य एआई टेक्नोलॉजी से जुड़े प्लेटफार्मों की जवाबदेही तय करना होगा। यह संस्था डीपफेक और अन्य हानिकारक एआई कंटेंट पर निगरानी रखेगी और उल्लंघन होने पर उनके खिलाफ कड़े कदम उठाएगी।
याचिकाकर्ताओं ने यह PIL भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की है, जिसमें विशेष रूप से ‘परमादेश’ (Writ of Mandamus) जारी करने की मांग की गई है। इस कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से केंद्र सरकार को एआई के दुरुपयोग पर तुरंत नियंत्रण के लिए ठोस कानून बनाने के लिए बाध्य करने की मांग है।
यह भी पढ़ें: सुरसंड विधानसभा सीट: जदयू की पकड़ बरकरार या राजद की वापसी? चुनावी समीकरणों पर टिकी निगाहें
भारत में पिछले एक वर्ष में एआई तकनीक की पहुंच तेजी से बढ़ी है। पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में ऐसे ऑडियो, वीडियो और फोटो सामने आए हैं जो पूरी तरह से एआई जनरेटेड डीपफेक हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि विभिन्न हाईकोर्ट में पहले से ही लंबित एआई और डीपफेक से संबंधित सभी मामलों को अपने पास ट्रांसफर किया जाए, ताकि इस विषय पर देश भर में एकसमान दिशा-निर्देश तय किए जा सकें।