पूर्व नगरसेवकों की पहल पर हुई सुबह 5 बजे की जांच (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nashik News: नासिक मनपा के प्रभाग 9 (शिवाजीनगर, श्रमिकनगर, ध्रुवनगर) में पिछले कई दिनों से चल रहे गंभीर जल संकट को लेकर मनपा के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। पूर्व नगरसेविका लता पाटील, पूर्व नगरसेवक रवींद्र धिवरे और युवा ऊर्जा फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अमोल पाटील ने अतिरिक्त आयुक्त प्रदीप चौधरी और जलापूर्ति अधीक्षक अभियंता रवींद्र धारणकर को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा था।
ज्ञापन दिए जाने के दूसरे दिन, तड़के 5 बजे जब जलापूर्ति उप अभियंता विनायक गांगुर्डे और कनिष्ठ अभियंता साहेबराव राऊत ने अमोल पाटील और रवींद्र धिवरे के साथ प्रभाग का दौरा किया, तो उन्हें नागरिकों और महिलाओं के भारी आक्रोश का सामना करना पड़ा। जब जांच दल यह देखने के लिए शिवाजीनगर जलशुद्धिकरण केंद्र गया कि क्षेत्र में पानी की कमी क्यों है, तो वहां की स्थिति अत्यंत गंभीर पाई गई। सुबह पानी छोड़ने के समय यांत्रिकी (मैकेनिकल) विभाग के अधिकारी केंद्र पर मौजूद नहीं थे।
अधिकारियों के बजाय, उस समय केंद्र पर केवल मजदूर और दिहाड़ी श्रमिक काम कर रहे थे। उपस्थित मजदूरों ने बताया कि अधिकारी सुबह 9 बजे अपनी ड्यूटी पर आते हैं। क्लोरीन मिश्रित करने वाले टैंक का स्लैब कमजोर होकर ढह गया था। चार्ट बोर्ड पर पानी की डेन्सिटी (घनत्व) की माप केवल 13 अगस्त तक की दर्ज थी, जिससे पता चलता है कि रिकॉर्ड को नियमित रूप से अपडेट नहीं किया गया था।
इस निरीक्षण से यह स्पष्ट हुआ है कि यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण कृत्रिम जल संकट पैदा किया जा रहा है और वे नासिक के नागरिकों को बंधक बना रहे हैं। संतोष व्यक्त करते हुए नागरिकों ने मांग की है कि महापालिका आयुक्त मनीषा खत्री स्वयं जलशुद्धिकरण केंद्र का दौरा करें और जमीनी हकीकत का जायजा लें। नागरिकों ने आरोप लगाया कि शिवाजीनगर जलशुद्धिकरण केंद्र में नागरिकों की सुरक्षा राम भरोसे है।
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चूंकि वर्तमान में मनपा में प्रशासनिक शासन है और प्रशासन पर कोई अंकुश नहीं है, इसलिए “आंधळे दळते आणि कुत्रे पीठ खाते” (अंधा पीसता है और कुत्ता आटा खा जाता है) वाली कहावत चरितार्थ हो रही है, जिससे जनता को परेशान किया जा रहा है। नागरिकों का कहना है कि महापालिका आयुक्त तो अच्छा काम कर रही हैं, लेकिन उनके अधीनस्थ अधिकारी आयुक्त को गुमराह करने का काम कर रहे हैं।