national panchayati raj day
National Panchayati Raj Day 2025: किसी भी देश का विकास अलग-अलग स्तर पर एक व्यवस्थित प्रणाली के आधार पर होता है। देश, प्रदेश, जिला, ब्लॉक, गांव स्तर पर उचित व्यवस्थाएं बनाई जाती हैं जिसके अंतर्गत कार्य होता है और जिससे हर स्तर पर विकास संभव होता है। पंचायती राज प्रणाली भी ऐसी ही एक त्रिस्तरीय प्रणाली है जो देश में ग्रामीण स्तर पर स्थानीय स्वशासन को मजबूत बनाती है। यह व्यवस्था ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के माध्यम से कार्य करती है। यह अलग-अलग स्तर पर ग्राम, ब्लॉक और जिला स्तर पर विकास कार्यों को कार्यान्वित करती है। यही वजह है कि हर साल 24 अप्रैल का दिन हम राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाते हैं।
पंचायती राज प्रणाली का मुख्य उद्देश्य ग्राउंड लेवल पर कार्य कर देश में लोकतंत्र को बढ़ावा देने के साथ समाज के विकास में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाना है। यह प्रणाली स्थानीय स्वशासन को मजबूती प्रदान करती है। पंचायती राज आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के साथ सामाजिक न्याय सुनिश्चित करता है।
पंचायती राज के जनक बलवंत राय मेहता को माना जाता है। भारत में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के वास्तुकार के रूप में उन्हें जाना जाता है। उन्होंने ने पंचायती राज प्रणाली के कार्य को तीन स्तर पर बांटा था। देश में 73वें संविधान संशोधन के बाद राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 में अस्तित्व में आया जो पंचायती राज संस्थाओं के कार्यों और शक्तियों का बताता है।
सरकारी योजनाओं का त्रिस्तरीय कार्यान्वयन: सभी ग्राम पंचायतें कई प्रकार की सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को अपने स्तर पर लागू करती हैं। इनमें मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन, और प्रधानमंत्री आवास योजना आदि शामिल हैं। इन योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने काम इस प्रणाली के अंतर्गत होता है।
स्थानीय करों का अधिरोपण और कलेक्शन: ग्राम पंचायतें स्थानीय करों लागू करती है। इनमें संपत्ति कर, व्यवसाय कर, और जल कर आदि कअधिरोपण और संग्रहण करती हैं, जिससे उनके पास विकास कार्यों के लिए धन आता है।
सार्वजनिक संपत्तियों का निर्माण और रखरखाव की जिम्मेदारी:
ग्राम पंचायतें गांव में सार्वजनिक संपत्तियों जैसे कि सड़कें, पुल, स्कूल, अस्पताल आदि का निर्माण और उसके रखरखाव की जिम्मेदारी का निर्वहन करती हैं।
स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल आदि सुविधाओं की व्यवस्था: ग्राम पंचायतें गांव की स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल आदि बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करती है। इससे ग्रामीणओं के जीवन स्तर में सुधार आता है।
ग्राम विकास योजनाएं बनाना: ग्राम पंचायतें गांव के विकास के लिए योजनाएं बनाती हैं और उन्हें लागू करती हैं। इनमें कृषि विकास, पशुपालन और जल प्रबंधन योजनाएं शामिल हैं।
जनता की भागीदारी तय करना: ग्राम पंचायतें ग्रामवासियों को विकास कार्यों में शामिल करने के लिए ग्राम स्तर पर सभाएं करती हैं। उन्हें विकास योजनाओं के बारे में जानकारी देती हैं ताकि वे उनका लाभ उठा सकें।
न्यायिक कार्य: कुछ ग्राम पंचायतें छोटी-मोटी कानूनी और न्यायिक मामलों का निपटारा भी करती हैं।
पंचायती राज प्रणाली में समय के साथ बदलाव भी हुए। 73वें संशोधन के बाद वर्ष 1992 से ग्राम पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी। ग्राम पंचायतों में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की गई। वहीं इसे राज्य सरकारों के नियंत्रण से कुछ हद तक स्वतंत्र भी किया गया। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर इसमें टैक्स लगाने और रेवेन्यू जेनरेट का कार्य भी सौंप दिया गया। पंचायती राज संस्थाओं की प्रशासनिक क्षमता में भी विस्तार किया गया जिससे वह विकास योजनाओं का प्रभावी ढंग से लागू कर सकती है।
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पंचायती राज प्रणाली में कई सकारात्मक बदलाव से यह मजबूत तो हुई है लेकिन आज की तारीख में उसके सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। आज भ्रष्टाचार की जड़ें दूर तक फैली हैं। यह सबसे बड़ी चुनौती है और यह विकास योजनाओं के प्रभावी ढंग से लागू होने और उसे कार्यान्वित होने में रुकावट डालती है। इसके साथ ही राजनीतिक और नौकरशाही हस्तक्षेप के कारण भी विकास कार्य प्रभावित होता है। इससे इतर कई पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय संसाधनों की कमी भी झेलनी पड़ती है जो विकास कार्यों को प्रभावित करती है।