भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर
नई दिल्ली: भारत ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर अमेरिका की टिप्पणी का करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम भारत का आंतरिक मामला है। CAA लागू होने पर अमेरिका का बयान गलत और अनुचित है। यह देश की समावेशी परंपराओं, मानवाधिकारों के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के बयान को अनुचित बताया है। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने जवाब देते हुए कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 भारत का आंतरिक मामला है और इसके कार्यान्वयन पर संयुक्त राज्य अमेरिका का बयान गलत, गलत जानकारी वाला और अनुचित है।
#WATCH | MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "We are pressing very hard with the Russian authorities for early discharge of our people who are stuck there. Last time we told you that there were 20 people there who approached us. We also have two people who passed away. On… pic.twitter.com/yxQEP7TRSM — ANI (@ANI) March 15, 2024
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “यह अधिनियम अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में आ चुके हैं। CAA से नागरिकता मिलेगी, इससे किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी। प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, CAA राज्यविहीनता के मुद्दे को संबोधित करता है, मानवीय गरिमा प्रदान करता है और मानवाधिकारों का समर्थन करता है। भारतीय संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार पर चिंता का कोई आधार नहीं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि जिन लोगों को भारत की बहुलतावादी परंपराओं और क्षेत्र के विभाजन के बाद के इतिहास की सीमित समझ है, उनके लिए बेहतर होगा कि वे व्याख्यान देने का प्रयास नहीं करें। उन्होंने यह कड़ी टिप्पणी प्रेस वार्ता में उस समय की गयी जब उनसे वाशिंगटन और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से सीएए के खिलाफ आलोचना के बारे में पूछा गया।
कानून को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए जायसवाल ने कहा, “सीएए नागरिकता देने के बारे में है, नागरिकता छीनने के बारे में नहीं। यह नागरिकता के मुद्दे को संबोधित करता है, मानवीय गरिमा प्रदान करता है और मानवाधिकारों का समर्थन करता है।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “जहां तक सीएए को लागू करने के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग के बयान का संबंध है, हमारा मानना है कि यह गलत, आधी-अधूरी जानकारी वाला और अवांछित है।”
उन्होंने कहा कि सीएए, 2019 भारत की समावेशी परंपराओं और मानवाधिकारों के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखकर लाया गया है। जायसवाल ने कहा, “यह अधिनियम अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था।”उन्होंने कहा, “भारत के साझेदारों और शुभचिंतकों को उस मंशा का स्वागत करना चाहिए जिसके साथ यह कदम उठाया गया है।”