मल्लिकार्जुन खड़गे (फोटो-सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः सिंगापुर में भारत-पाक संघर्ष पर सीडीएस अनिल चौहान के बयान के बाद एक बार फिर सियासत गर्म हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया एक्स पर एक लंबी चौड़ी पोस्ट कर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने सीडीएस अनिल चौहान के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि क्या सरकार कारगिल युद्ध के तत्काल बाद बनी एक समीक्षा समिति की तर्ज पर कोई कदम उठाएगी।
जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान के साथ हालिया सैन्य टकराव में विमान के नुकसान की बात स्वीकार की है, लेकिन 6 भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराने के इस्लामाबाद के दावे को ‘‘बिल्कुल गलत” बताया है। ‘ब्लूमबर्ग टीवी’ के साथ एक साक्षात्कार में चौहान ने कहा कि यह पता लगाना अधिक महत्वपूर्ण है कि विमान का नुकसान क्यों हुआ, ताकि भारतीय सेना रणनीति में सुधार कर सके और फिर से जवाबी हमला कर सके।
सरकार तत्काल प्रभाव से बुलाए संसद का सत्र
मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीडीएस के इंटरव्यू के बाद महत्वपूर्ण सवाल उठ रहे हैं, जिन्हें पूछा जाना आवश्यक है। इन सवालों का जवाब तभी मिल सकता है, जब सरकार संसद का विशेष सत्र तत्काल प्रभाव से बुलाए। उन्होंने कहा कि युद्ध का संकट टल गया है। मोदी सरकार देश को गुमराह करना बंद करें। भारत-पाक संघर्ष से जुड़े अहम सवालों का जवाब दे। इसके साथ ही उन्होंने हम अपनी सेना के शौर्य को सलाम करते हैं, उन्होंने बहुत बहादुरी से पाकिस्तान को जवाब दिया। लेकिन समय की मांग है कि कारगिल समीक्षा समिति के तर्ज पर एक कमेटी का गठन किया जाए। कमेटी से सुरक्षा तैयारियों की जांच कराई जाए। कांग्रेस पार्टी इसकी मांग करती है।
‘सेना के शौर्य का श्रेय ले रहे पीएम मोदी’
इसके अलावा खड़गे ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बार-बार भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने का श्रेय ले रहे हैं। ट्रंप के बयानों पर स्पष्टीकरण देने के बजाय प्रधानमंत्री चुनावी मोड में आ गए हैं। सेना के शौर्य के पीछे छिप कर सशस्त्र बलों की बहादुरी का श्रेय ले रहे हैं।
जयराम रमेश ने वाजपेयी सरकार का दिया हवाला
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “29 जुलाई 1999 को, वाजपेयी सरकार ने भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ के. सुब्रमण्यम, जिनके पुत्र अब हमारे विदेश मंत्री हैं, की अध्यक्षता में कारगिल समीक्षा समिति का गठन किया था। यह कारगिल युद्ध समाप्त होने के ठीक तीन दिन बाद की बात है। उन्होंने कहा कि इस समिति ने पांच महीने बाद अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और ‘फ़्रॉम सरप्राइज़ टू रेकनिंग’ शीर्षक वाली रिपोर्ट को आवश्यक संशोधनों के बाद 23 फरवरी, 2000 को संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखा गया। रमेश ने सवाल किया कि क्या अब सीडीएस ने सिंगापुर में जो खुलासा किया है, उसके आलोक में मोदी सरकार भी वैसा ही कदम उठाएगी?