
कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स-सोशल मीडिया)
तिरुवनंतपुरम: इंटरनेट के आधुनिक युग और सूचनाओं के फास्ट आदान-प्रदान के दौर में ‘फेक न्यूज’ की काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसीलिए ‘फेक न्यूज डिटेक्शन’ समय की मांग हो चुका है। जिसको ध्यान में रखते हुए केरल सरकार ने आईसीटी के सिलेबस में ‘फेक न्यूज डिटेक्शन’ सिस्टम को शामिल किया है। इतना ही नहीं इस मामले में वह ब्रिटेन से भी आगे निकला है।
केरल के शिक्षा विभाग ने पांचवी और सातवीं कक्षा के बच्चों को ऑनलाइन मंचों पर फर्जी खबरों की पहचान करने और फैक्ट चेक करने में सक्षम बनाने के लिए आईसीटी पाठ्यपुस्तकों में ‘फेक न्यूज डिटेक्शन’ प्रणाली को शामिल किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केरल ने ब्रिटेन से पहले इस प्रणाली को अपने पाठ्यपुस्तक कार्यक्रम में शामिल कर लिया।
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उन्होंने कहा कि 2022 में, मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के. अनवर सादात की अध्यक्षता वाली, विभाग की प्रौद्योगिकी शाखा, ‘केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड टेक्नोलॉजी फॉर एजुकेशन’ (केआईटीई) ने डिजिटल मीडिया साक्षरता कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पांचवी से 10वीं कक्षा तक के 19.72 लाख विद्यार्थियों को फर्जी खबरों की रोकथाम और इसको लेकर जागरूकता फैलाने पर प्रशिक्षण दिया था।
कुछ समाचार खबरों में यह बात सामने आई थी कि ब्रिटेन इस विषय के साथ-साथ कई अन्य चीजों को अपने प्राथमिक पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बना रहा है, जिसके मद्देनजर सादात ने सोमवार को केरल के कार्यक्रम के विवरण के बारे में बताया।
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उन्होंने एक बयान में कहा कि यह भारत में पहली बार है जब 5,920 प्रशिक्षकों की मदद से उच्च प्राथमिक स्कूलों के 9.48 लाख विद्यार्थियों और माध्यमिक स्कूलों के 10.24 लाख विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया। सादात ने कहा कि देश में पहली बार सातवीं कक्षा की आईसीटी पाठ्यपुस्तक के जरिये चार लाख विद्यार्थियों को कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के बारे में सीखने का अवसर मिला।
-एजेंसी इनपुट के साथ






