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Jagdeep Dhankhar Resign: संसद के मानसून सत्र के पहले दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने अपने त्यागपत्र में साफ़ तौर पर कहा है कि वह तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफ़ा दे रहे हैं। जिसके बाद कई ऐसे सवाल उठ रहे हैं जिनके जवाब ढूँढ़ना ज़रूरी है।
इन सवालों में सबसे अव्वल यह कि उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही को कौन देखेगा? उपराष्ट्रपति का पद अधिकतम कितने दिनों तक खाली रह सकता है? धनखड़ की जगह जो भी राज्यसभा का सभापति बनेगा क्या उसे उपराष्ट्रपति की तरह शक्तियां मिलेंगी? तो चलिए इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं…
उपराष्ट्रपति की कुर्सी अधिकतम 60 दिन तक ही खाली रह सकती है। ऐसे में अब इस पद को भरने के लिए चुनाव कराए जाएंगे। यह चुनावी प्रक्रिया 60 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। यानी भारत को अगले 2 महीनों के अंदर नया उपराष्ट्रपति मिल जाएगा।
नियमों के अनुसार, जब सभापति अनुपस्थित हों, तो राज्यसभा का सत्र उपसभापति की अध्यक्षता में चलता है। संविधान के अनुच्छेद 64 और 89 राज्यसभा में सभापतित्व से संबंधित प्रावधानों का निर्धारण करते हैं। अनुच्छेद 89 (1) के अनुसार, राज्यसभा में एक उपसभापति होता है जो सभापति की अनुपस्थिति में कार्यवाही की निगरानी करता है।
संविधान के अनुच्छेद के अनुसार, जब तक उपराष्ट्रपति का पद रिक्त रहेगा, राज्यसभा के उपसभापति कार्यवाहक सभापति होंगे। वर्तमान में, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह हैं। नए उपराष्ट्रपति के निर्वाचित होकर कार्यभार ग्रहण करने तक, हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करेंगे। लेकिन उन्हें राज्यसभा के सभापति की शक्तियों के साथ उपराष्ट्रपति की शक्तियां नहीं प्रदत्त होंगी।
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यह पहली बार नहीं है जब राज्यसभा के सभापति को लेकर सवाल उठे हों। इससे पहले भी एक बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। 2017 में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल पूरा होने और नए चुनाव से पहले, कुछ समय के लिए अध्यक्ष का कार्यभार उपसभापति के पास था। चालू सत्र के दौरान उपराष्ट्रपति का इस्तीफा कोई सामान्य राजनीतिक घटना नहीं है।