प्रतीकात्मक फोटो, सोर्स- सोशल मीडिया
SC Advocate Files Petition in Delhi HC: मकबूल भट्ट और अफजल गुरु की कब्रों को हटाने के लिए याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इन कब्रों के चलते जेल परिसर कट्टरपंथियों का तीर्थ स्थल बनता जा रहा है जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था को खतरा पैदा हो रहा है।
विश्व वैदिक सनातन संघ द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि तिहाड़ जेल के अंदर आतंकियों की मौजूद कब्रों के कारण यह स्थान एक “कट्टरपंथी तीर्थ स्थल” बन गया है। आरोप है कि यहां चरमपंथी तत्व इन आतंकियों की पूजा करने के लिए जमा होते हैं, जिससे जेल की सुरक्षा और अनुशासन पर असर पड़ता है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि तिहाड़ जेल में कब्रों का निर्माण दिल्ली जेल नियम 2018, जेल अधिनियम 1894, दिल्ली मास्टर प्लान 2021 और डीएमसी एक्ट के नियमों का सीधा उल्लंघन है। इनमें से कोई भी कानून जेल परिसर में धार्मिक संरचनाओं या कब्रों की अनुमति नहीं देता।
याचिका में एक वैकल्पिक मांग यह भी रखी गई है कि अगर कब्रों को हटाना संभव न हो, तो अदालत जेल प्रशासन को आदेश दे कि वे आतंकियों के पार्थिव अवशेषों को किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित करें, जिससे आतंकवाद के महिमामंडन और जेल परिसर के दुरुपयोग को रोका जा सके।
याचिकाकर्ता ने समर्थन में अजमल कसाब और याकूब मेमन के उदाहरण दिए हैं। इनके शवों को ऐसे स्थानों पर दफनाया गया था जहां कोई सार्वजनिक श्रद्धांजलि या महिमामंडन संभव न हो। तर्क दिया गया है कि यही तरीका मकबूल भट्ट और अफजल गुरु के साथ भी अपनाया जाना चाहिए था।
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याचिका में यह दावा भी किया गया है कि जेल परिसर के अंदर कब्रों की उपस्थिति से कैदियों और कर्मचारियों दोनों को संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इससे जेल के भीतर स्वास्थ्य मानकों पर भी असर पड़ सकता है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा के माध्यम से दाखिल की गई है। कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह संबंधित जेल अधिकारियों को निर्देश दे कि वे इन कब्रों को कानून के तहत हटाएं या उनके पार्थिव अवशेषों को किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित करें।