जगदीप धनखड़ (सोर्स- सोशल मीडिया)
Jagdeep Dhankhar News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। अपने मुखर व्यक्तित्व के लिए जाने जाने वाले जगदीप धनखड़ ने शक्तियों के बंटवारे के मुद्दे पर न्यायपालिका पर हमला बोला और उपराष्ट्रपति रहते हुए लगभग हर दिन राज्यसभा में विपक्ष से उनका टकराव होता रहा।
इसके अलावा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किसानों के मुद्दे पर भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से कई तीखे सवाल पूछे थे। धनखड़ ने पिछले साल दिसंबर 2024 में केंद्र सरकार से सवालिया अंदाज में कहा था, “क्या हम किसान और सरकार के बीच दीवार खड़ी कर रहे हैं?”
जगदीप धनखड़ इतिहास में ऐसे इकलौते उपराष्ट्रपति के रूप में भी जाने जाएंगे, जिनके खिलाफ विपक्ष ने उच्च सदन के सभापति के तौर पर “पक्षपातपूर्ण” आचरण अपनाने का आरोप लगाया और उन्हें हटाने का नोटिस लाया। उपसभापति हरिवंश ने इस नोटिस को खारिज कर दिया। धनखड़ ने इस नोटिस को नज़रअंदाज़ करते हुए “जंग लगा” सब्जी काटने वाला चाकू करार दिया था।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारत विश्व में कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। लेकिन जब ऐसा हो रहा है तो हमारा किसान परेशान क्यों है? क्यों पीड़ित है? यह बहुत गहराई का मुद्दा है। इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं। हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है। किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य दे देंगे तो मुझे नहीं लगता कि कोई पहाड़ गिर जाएगा।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पहली बार कृषि मंत्री की मौजूदगी में केंद्र सरकार को घेरा,
उन्होंने कहा क्या हम किसान और सरकार के बीच दीवार खड़ी कर रहे हैं?
कृषि मंत्री से पूछा क्या सरकार ने किसानो से वादा किया था?
अगर किया गया तो क्यों नहीं निभाया गया?
अब हम क्या कर रहे है पिछले… pic.twitter.com/AlH3NHGjbQ— 🇮🇳रोहित जाखड़-Rohit Jakhar-ਰੋਹਿਤ ਜਾਖੜ 🇮🇳 (@chrohitjakhar) December 4, 2024
धनखड़ ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा कि मेरा आपसे आग्रह है कि कृपया कर के मुझे बताइए, क्या किसान से वादा किया गया था? वादा किया गया तो निभाया क्यों नहीं गया? वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं? गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है और हम कुछ कर नहीं रहे हैं।
पेशे से वकील धनखड़ ने शक्तियों के पृथक्करण के मुद्दे पर को लेकर न्यायपालिका पर भी हमला बोला। उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की कड़ी आलोचना की, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को पलटने का प्रयास किया गया था।
यह भी पढ़ें: …तो ये है जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की वजह? जानिए इसके पीछे की इनसाइड स्टोरी
भारत के तत्कालिक मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की मौजूदगी में उन्होंने दोनों सदनों द्वारा लगभग सर्वसम्मति से पारित कानून को रद्द करने के लिए सुप्रीम अदालत पर सवाल उठाया। इस दौरान उन्होंने सांसदों की भी आलोचना करते हुए कहा कि जब कानून को रद्द किया गया, तो सांसदों की ओर से विरोध की एक आवाज भी नहीं उठी।
उपराष्ट्रपति चुने जाने के तुरंत बाद, धनखड़ ने राष्ट्रीय राजधानी, हरियाणा और राजस्थान में किसानों के कई समूहों से मुलाकात की और उनसे कृषि से आगे बढ़कर खाद्य प्रसंस्करण और विपणन क्षेत्र में कदम रखने का आग्रह किया ताकि उनकी आय बढ़े। एक समय तो उनके शब्द मोदी सरकार की तीखी आलोचना जैसे लग रहे थे।