उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह
लखनऊ : कहते हैं कि अब नौकरशाहों को भी रिटायरमेंट के बाद राजनीति सुख सुविधाएं पाकर सार्वजनिक जीवन में बने रहने की आदत बन गई है। इसीलिए नौकरशाह राजनीतिक पारी शुरू करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं। कुछ नौकरशाह तो पार्टी से टिकट का आश्वासन मिलते ही नौकरी छोड़ देते हैं तो कुछ लोग रिटायरमेंट के तत्काल बाद राजनीतिक दलों में जाने की गोटी सेट कर लेते हैं। वहीं कुछ लोग अलग तरीके से अपनी राजनीतिक चमकाना चाहते हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह (Former DGP of Uttar Pradesh Sulkhan Singh) ने नई पार्टी बनाकर बुंदेलखंड के इलाके में अपनी राजनीतिक चमकाने की पहल शुरू की है। मंगलवार को बांदा में अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान करते हुए राजनीतिक पारी शुरू करने का ऐलान किया। भाजपा के प्रति इनके रुख को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी चुनाव में इनको पार्टी नए राज्य के मुद्दे पर भाजपा को एक नया सिरदर्द दे सकती है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बुंदेलखंड राज्य की मांग (Demand for new Bundelkhand state) करते हुए एक नई राजनीतिक पार्टी का ऐलान किया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 15 जिलों को मिलाकर एक नए बुंदेलखंड राज्य की मांग की है। राजनीतिक मांग का आगामी लोकसभा चुनाव में भी कुछ असर देखा जा सकता है। इसीलिए उन्होंने एक सोची समझी रणनीति के तहत बुंदेलखंड की मांग को हवा देकर बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी के नाम से एक नई पार्टी का गठन कर लिया है। सुलखान सिंह ने बुंदेलखंड लोकतांत्रिक पार्टी (Bundelkhand Democratic Party) के नाम से नए राजनीतिक दल का ऐलान किया और एक पोस्टर भी साझा किया है, जिसमें 15 जिलों को मिलाकर बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग की गयी है। साथ ही उससे जुड़ी जानकारियों को साझा करते हुए आम सहमति से एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने की योजना पर काम किया जाना है, ताकि बुंदेलखंड को एकजुट किया जा सके।
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह
इनके द्वारा जारी जानकारी में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के 7 जिलों झांसी, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट, ललितपुर, जालौन और महोबा के अलावा मध्य प्रदेश के 8 जिलों दमोह, पन्ना, सागर, छतरपुर, दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़ व अशोकनगर को मिलाकर बुंदेलखंड राज्य बनाया जा सकता है।
इन जिलों में लोकसभा की लगभग डेढ़ से दो दर्जन सीटों पर अपना प्रभाव डालने की फिराक में पूर्व आईपीएस ने ये नई कवायद शुरू की है।
ये है राज्य की मांग का असली कारण
सुलखान सिंह ने अपने पोस्ट में बुंदेलखंड राज्य के गठन का आधार के साथ-साथ अपने नए राजनीतिक दल की मूल्य व मान्यताएं भी बतायी हैं। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के बीच बंट गया है। बुंदेलखंड की अपनी पहचान है, जो इन दोनों राज्यों से अलग है। इस क्षेत्र में भौगोलिक, सांस्कृतिक, कृषि, वाणिज्य आदि की एकरूपता है। यह क्षेत्र महाभारत काल में भी काफी गौरवशाली इतिहास वाला रहा। इतना ही नहीं लेकिन अंग्रेजी शासन काल में एक मजबूत राजनीतिक चेतना वाला क्षेत्र बनकर उभरा था। लेकिन दुर्भाग्य से अंग्रेजों की चाल व आजादी के बाद स्थानीय राजनेताओं में इच्छाशक्ति में कमी से इसे दो हिस्सों में बांटकर अलग-थलग कर दिया गया। इस बुंदेलखंडी विरासत को बचाए रखने के लिए दोनों राज्यों को इन 15 जिलों को जोड़कर एक नया राज्य बनाने की जरूरत है।
बुंदेलखंड राज्य के गठन का आधार
उन्होंने यह भी कहा कि बुंदेलखंड के इलाके में पानी की भारी समस्या है। सरकारों की अपेक्षा के कारण यहां पर कोई बड़े संसाधन नहीं तैयार किया जा सके। इसलिए आज बुंदेलखंड मरुस्थल बनने की ओर अग्रसर है। यहां के लोग सीधे-सरल और स्वाभिमानी होते हैं। शिक्षा का स्तर कम होने के कारण उच्च पदों पर बुंदेलखंड के लोगों का प्रतिनिधित्व भी कम है। ऐसे में एक बार फिर से इनको उचित सम्मान और स्थान दिलाने के लिए बुंदेलखंड राज्य की जरूरत है।
नए राजनीतिक दल के मूल्य व मान्यताएं
उन्होंने बुंदेलखंड के रहने वाले लोगों से अपील की थी वह इस पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग करें। सुलखान सिंह ने अपना मोबाइल नंबर जारी करते हुए सक्रिय सहयोग के साथ-साथ मानसिक और आर्थिक सहयोग की अपील की है, ताकि वह इस राजनीतिक पार्टी को आगे बढ़ा सकें।
भाजपा सरकार रही है निशाने पर
आपको याद होगा कि रिटायर होने के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और रिटायर्ड आईपीएस अफसर सुलखान सिंह ने लखनऊ में पिछले दिनों एक फेसबुक पोस्ट की थी। इसके बाद हंगामा मच गया था। सुलखान सिंह ने भारतीय जनता पार्टी को क्षत्रियों से नफरत करने वाली पार्टी बताकर एक नया बवाल खड़ा कर दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने तो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए इस व्यवस्था पर कटाक्ष किया था।
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह
सुलखान सिंह का परिचय
आपको बता दें कि रिटायर्ड आईपीएस अफसर सुलखान सिंह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के ही रहने वाले हैं। बांदा जिले के तिंदवारी क्षेत्र के जौहरपुर गांव के रहने वाले पूर्व आईपीएस अफसर का जन्म 8 सितंबर 1957 को हुआ था। शुरुआती शिक्षा जिले के बजरंग इंटर कॉलेज बांदा से करने के बाद वह आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के लिए बाहर गए। इसके इलावा सिविल सेवा की तैयारी करके आईपीएस बन गए। इसके बाद इन्होंने दिल्ली से एमटेक किया और फिर रेलवे में इंजीनियर के पद पर कुछ समय तक सेवाएं दीं। साथ ही वह सिविल सेवा की भी तैयारी करते रहे। सुलखान सिंह ने इसके अलावा लॉ की भी पढ़ाई की थी। वर्ष 1980 में वे भारतीय पुलिस सेवा में चुने गये, तब से ले कर उन्होंने कई जिमेदारी संभाली है। वर्ष 2001 में वो लखनऊ के पुलिस उपमहानिरीक्षक बनाये गये। इस दौरान वो कई भ्रष्ट पुलिस अफसर का तबादला करवा कर सुर्खियों में रहे हैं। इस दौरान 2017 में पुलिस महानिदेशक बनने के पहले वह कई जिलों के पुलिस कप्तान और बड़े-बड़े पदों पर रहने के बाद रिटायर हो गए। रिटायरमेंट के बाद वह लखनऊ के हाईकोर्ट में अधिवक्ता के रूप में अपनी प्रैक्टिस कर रहे थे।