उदित राज, पीटर नवारो, पवन खेड़ा (फोटो-सोशल मीडिया)
New Delhi Politics: भारत समेत कई अन्य देशों के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्रेड वॉर छेड़ रखी है। इस बीच भारत ने अमेरिका के सामने झुकने के बजाय चीनी रूट ले लिया। हालांकि भारत के लिए चीन से साझेधारी समस्या का स्थायी समाधान नहीं है, लेकिन SCO समिट में रूस, चीन और भारत के राष्ट्राध्यक्षों का जमवाड़ा अमेरिका को खटक रहा है। SCO समिट के बीच ट्रंप के करीबी सलाहकार पीटर नवारो ने भारत के खिलाफ एक कूटनीतिक चाल चली है।
पीटर नवारो ने भारत के ब्राह्मणों पर रूसी तेल खरीद कर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भारत जो तेल रूस से खरीद रहा है। इसका सीधा फायदा ब्राह्मणों को हो रहा है और इसका नुकसान पूरा भारत चुका रहा है। नवारो का यह बयान भारत की इंटरनल पॉलिटिक्स को टारगेट कर रहा है। हालांकि सरकार से पहले कांग्रेस के दो नेता इस मामले पर आमने सामने हो गए हैं।
ट्रंप के सलाहकार नवारो ने भारत द्वारा रूस से खरीदे जा रहे तेल पर ब्राह्मणों पर मुनाफाखोरी का आरोप लगाते हुए कहा कि तेल खरीद का फायदा ब्राह्मणों को हो रहा है, जबकि नुकसान पूरा देश झेल रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि भारत के पैसे से रूस यूक्रेन पर हमला कर रहा है। इसलिए सबसे ज्यादा टैरिफ झेल रहा है। इससे अमेरिका और रूस को कोई नुकसान नहीं हो रहा है। बल्कि आम भारतीयों को हो रहा है। नवारो ने भारत को ‘रूस की धुलाई मशीन’ कहा और आरोप लगाया कि भारत न सिर्फ व्यापार असंतुलन बढ़ा रहा है, बल्कि ऐसे गठजोड़ भी मजबूत कर रहा है, जो अमेरिका के हितों के खिलाफ हैं।
वहीं नवारो के इस बयान पर दो कांग्रेस नेता आमने सामने हो गए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने नवारो के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए। उन्होंने अमेरिका के बयान को निराधार बताया है। टीएमसी सासंद ने कहा कि ब्राह्मण शब्द का इस्तेमाल अंग्रेजी बोलने वाली दुनिया में अमीरों के लिए किया जाता है। ऐसे में नवारो का बयान न केवल भ्रामक है, बल्कि उनकी अज्ञानता भी दिखा रहा है।
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इस मामले पर पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता उदित राज ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा” मैं नवारो से पूरी तरह सहमत हूं। ज्ञात रहे कि पीटर नवारो ट्रम्प के सलाहकार हैं। उन्होंने ने कहा रूस से ब्राह्मण सस्ता तेल ख़रीद कर मुनाफा कमा रहें है और इसका फ़ायदा आम जानता को नहीं मिल रहा है। दरअसल, निजी भारतीय तेल शोधक ऊंची जातियों से हैं और तथाकथित निचली जातियों को तेल शोधक बनने में दशकों, शायद सदियों लग जाएंगे। यह सच है कि ऊंची जातियों के कॉर्पोरेट घराने रूस से सस्ता तेल खरीद रहे हैं और शोधन के बाद उसे दूसरे देशों को बेच रहे हैं। भारतीयों को इससे कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है।”