देवेंद्र यादव, अनिल बैजल, केजरीवाल (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा में पेश CAG की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बुधवार को कहा कि “शराब घोटाले” की जांच का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। इसमें भाजपा की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने यह सवाल भी किया कि आखिर कैग की सभी 14 रिपोर्ट पेश क्यों नहीं गई। इसमें आबकारी नीति बनने के समय उप राज्यपाल रहे अनिल बैजल की भूमिका को नजरअंदाज क्यों किया गया?
देवेंद्र यादव ने कहा कि “शराब घोटाले” की जांच के लिए लोक लेखा समिति (पीएसी) का भी गठन होना चाहिए। कैग की एक रिपोर्ट मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में पेश की गई। इसमें अरविंद केजरीवाल सरकार के समय की शराब नीति को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं।
यादव ने संवाददाताओं से कहा, “कांग्रेस को पहले से संदेह था कि इस नीति में बहुत सारी अनियमितताएं हैं, जिससे सरकार के राजस्व पर असर पड़ने वाला है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जांच एजेंसियों को शराब नीति से जुड़ी लिखित शिकायत भी दी थी, जिसमें भाजपा के संलिप्त होने के भी सबूत थे। उन्होंने कहा कि ऐसे में सवाल है कि विधानसभा में शराब नीति से जुड़ी सभी 14 रिपोर्ट पेश क्यों नहीं की गई?
कैग की रिपोर्ट की जांच की मांग
यादव का कहना था, “हम चाहते हैं कैग रिपोर्ट की लोक लेखा समिति (पीएसी) में भी जांच हो। ऐसे में जल्द से जल्द पीएसी बनाई जाए ताकि इस रिपोर्ट की जांच हो सके और जो भी लोग लूट में शामिल थे, उन्हें सजा मिले। उन्होंने कहा कि वैसे तो पीएसी की अध्यक्षता विपक्ष के नेता ही करते हैं, लेकिन दिल्ली में सरकार ही इसका नेतृत्व करती आई है। हमारी मांग है कि इन रिपोर्ट को सार्वजनिक तौर पर चर्चा में भी लेकर आया जाए।
शराब घोटाले में उप राज्यपाल की भूमिका नजरअंदाज
यादव ने दावा किया कि भाजपा के कुछ बड़े नेता और तत्कालीन उप-राज्यपाल की भूमिका से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं, जो इस कैग रिपोर्ट में नजरअंदाज कर दिए गए। उन्होंने सवाल किया कि साल के अंदर तीन आबकारी निदेशकों को बदलने का निर्णय क्यों और किसने लिया? दिल्ली में शराब के नए ब्रांड को बढ़ावा देना का काम किया गया, इसकी जांच होनी चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा, “पूर्व की केजरीवाल सरकार की शराब नीति को लागू करने की अनुमति तत्कालीन राज्यपाल ने दी थी, आज तक इस पर कोई जांच क्यों नहीं हुई?
एमसीडी का शराब घोटाले से कनेक्शन
उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान का उल्लंघन कर, शराब के ठेके खोलने के लाइसेंस कैसे दिए गए, इसकी जांच करने की जरूरत है। कांग्रेस नेता ने दावार कि “नगर निगम की अनुमति के बिना, शराब के ठेके नहीं खोले जा सकते और उस समय निगम में भाजपा थी। भाजपा ने दिल्ली सरकार को नॉन-कंफर्मिंग एरिया में भी शराब के ठेके खोलने की इजाजत दे दी। उन्होंने कहा, “शराब घोटाले की जांच का दायरा व्यापक किया जाना चाहिए। भाजपा के खिलाफ कांग्रेस द्वारा दी गई लिखित शिकायत पर जांच हो और शराब घोटाले पर बोले जा रहे झूठ पर सार्वजनिक मंच पर चर्चा हो।”