हिमंता बिस्वा सरमा (सोर्स- सोशल मीडिया)
गुवाहाटी: संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्दों को हटाने की भाजपा नेताओं की संघ से अपील के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी मोर्चा खोल दिया है। एक कार्यक्रम के दौरान सीएम सरमा ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़े गए ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ शब्दों को हटा दिया जाना चाहिए।
भाजपा मुख्यालय में ‘द इमरजेंसी डायरीज’ नामक पुस्तक का विमोचन करते हुए सरमा ने संविधान की प्रस्तावना से इन शब्दों को हटाने की अपील की। उन्होंने कहा, “ये शब्द कभी भी मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे, इसलिए इन्हें हटा दिया जाना चाहिए। क्योंकि धर्मनिरपेक्षता भारतीय विचार सर्व धर्म समभाव के खिलाफ है… और समाजवाद कभी भी भारत की बुनियादी आर्थिक दृष्टि का हिस्सा नहीं रहा।”
पत्रकारों से बात करते हुए असम के सीएम ने कहा, “आज हमने इमरजेंसी डायरी नामक एक किताब का विमोचन किया, जिसमें आपातकाल के दौरान संघर्ष और प्रतिरोध के बारे में बात की गई है। जब हम आपातकाल की बात करते हैं, तो इसके बचे हुए प्रभाव को मिटाने का यह सही समय है, जैसे प्रधानमंत्री मोदी औपनिवेशिक शासन की विरासत को मिटाने का काम कर रहे हैं।”
भारत सरकार से आग्रह करता हूँ कि संविधान की प्रस्तावना से ‘Secular’ और ‘Socialist’ शब्दों को हटाया जाए। pic.twitter.com/cRSvDnAdFA
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) June 28, 2025
उन्होंने कहा कि आपातकाल के दो बड़े परिणाम हमारे संविधान में ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ जैसे शब्दों को जोड़ना था। मेरा मानना है कि धर्मनिरपेक्षता सर्वधर्म समभाव के भारतीय विचार के खिलाफ है औक समाजवाद कभी भी हमारा आर्थिक दृष्टिकोण नहीं रहा है, हमारा ध्यान सदैव सर्वोदय अंत्योदय पर रहा है।
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असम के सीएम ने पूर्व प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए कहा कि ये शब्द इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में जोड़े थे। इसलिए मैं सरकार से इन दो शब्दों को संविधान से हटाने की अपील करता हूं क्योंकि ये कभी भी मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे। उन्होंने कहा कि आपातकाल की सारी विरासत को हटाने का यह सही समय है।