मायावती (सोर्स- सोशल मीडिया)
लखनऊ: आरएसएस के सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले द्वारा संविधान की प्रस्तावना पर दिए गए बयान पर सियासत गरमा गई है। अब इस मामले में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी प्रतिक्रिया दी है। मायावती ने कहा कि संविधान में समय-समय पर अनावश्यक बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्तावना में भारतीय संविधान की मूल भावना दर्शाई गई है, इससे छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि दोनों पार्टियों के दिल में कुछ और और जुबान पर कुछ और है। मायावती ने कहा कि पार्टियों को अपनी संकीर्ण सोच से ऊपर उठना चाहिए और संविधान से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। मायावती ने कहा कि हमें भी देशभर में अपनी आवाज उठानी होगी।
इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि देश के कई राज्यों में भाषा के नाम पर राजनीति ठीक नहीं है। सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए। सरकार और पार्टियों के बीच टकराव ठीक नहीं है। वहीं, बिहार में वोटर लिस्ट के मुद्दे पर मायावती ने कहा कि चुनाव आयोग को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और पार्टियों को विश्वास में लेना चाहिए।
मायावती ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी ने बाबा साहब के संविधान में अपनी आस्था नहीं जताई है। बीजेपी और कांग्रेस ने संविधान को सही तरीके से लागू नहीं किया है, पार्टी अपनी-अपनी पार्टी की विचारधारा अपनाती है। दोहरा चरित्र अपनाकर दोनों पार्टियां एक हो जाती हैं, संविधान से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है। अगर वे अपना संविधान विरोधी चेहरा नहीं बदलते हैं तो हमें आना पड़ेगा।
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आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने 27 जून 2025 को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि ये शब्द 1975 के आपातकाल के दौरान 42वें संशोधन के जरिए संविधान में शामिल किए गए थे और इन्हें बनावटी मानते हुए इन्हें हटाने की जरूरत है।