राजस्थान सीएम भजनलाल शर्मा (सोर्स:ट्विटर)
नई दिल्ली: राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर आखिरकार समझौता किया गया है। दरअसल, दोनों राज्यों में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर काफी लंबे समय से विवाद चल रहा था। लेकिन अब इस मामले को सुलझाकर इस प्रोजेक्ट को शुरू कर दिया गया है। हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस प्रोजेक्ट के महत्व के बारे में बात की है। इस दौरान उन्होंने दावा किया है कि ERCP राज्य के लिए वरदान साबित होगा।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक परिवर्तनकारी और महत्वाकांक्षी योजना है। यह योजना राज्य के लिए वरदान साबित होगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने इसे राज्य की तीव्र जल कमी को दूर करने की पहल बताया। उन्होंने आगे कहा कि इस परियोजना में 1,60,000 बोरवेल लगाए जाने हैं, जिससे राज्य की जल संबंधी गंभीर चुनौतियों को कम करने में काफी मदद मिलेगी।
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राजस्थान के मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि ERCP एक बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है और इस योजना की शुरुआत पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने सूरत में की थी। यह बहुत बड़ा काम है और मैं कह सकता हूं कि 1,60,000 बोरवेल लगाना राजस्थान के लिए वरदान साबित होगा। राजस्थान के अंदर यह बहुत बड़ी योजना होगी क्योंकि राजस्थान में पानी की बहुत कमी है।
सीएम शर्मा ने कहा कि सरोई और जोधपुर में परियोजना के लिए काम शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह योजना विकसित राजस्थान और विकसित भारत की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी। 9-10 दिसंबर को राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट का आयोजन किया जा रहा है। राजस्थान सरकार का एक साल पूरा हो रहा है। इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी 17 दिसंबर को राज्य का दौरा करेंगे। हम सभी उनका स्वागत करने के लिए तैयार हैं।
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बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 दिसंबर को सांगानेर में एक सार्वजनिक रैली कर सकते हैं। प्रधानमंत्री की इस महीने राजस्थान की यह दूसरी यात्रा होगी। इस कार्यक्रम के दौरान उनके महत्वाकांक्षी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का उद्घाटन करने की भी उम्मीद जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि ईआरसीपी का उद्देश्य पूर्वी राजस्थान में चंबल और उसकी सहायक नदियों जैसे नदियों से अधिशेष जल का दोहन करना है। इससे कोटा, जयपुर और भरतपुर सहित लगभग 13 जिलों की पेयजल और सिंचाई आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा। राजस्थान में सीमित भूजल भंडार और असमान वर्षा पैटर्न होने के कारण यह राज्य भारत में सबसे अधिक पानी की कमी का सामना कर रहा है। ऐसे में यह पहल राज्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
बता दें कि यह परियोजना राज्य के शुष्क क्षेत्रों में जल सुरक्षा बढ़ाने और लाखों लोगों की आजीविका में सुधार लाने के व्यापक प्रयासों से भी जुड़ी है। ERCP परियोजना की घोषणा भारतीय जनता पार्टी ने 2017-18 में की थी। परियोजना के संशोधित संस्करण का उद्देश्य पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों, मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्रों में पीने और औद्योगिक जल उपलब्ध कराना है। साथ ही दोनों राज्यों में 2.8 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई प्रदान करना भी उद्देश्य है, जिसमें राज्यों में मार्ग में स्थित टैंकों का पूरकीकरण भी शामिल है।
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बताया जा रहा है कि संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ERCP लिंक परियोजना एक अंतर-राज्यीय नदी जोड़ो परियोजना है। इसका उद्देश्य पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों और मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्रों को पीने और औद्योगिक जल उपलब्ध कराना है। यह भारत की नदियों को जोड़ने (ILR) के सरकार के राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना कार्यक्रम के तहत दूसरी परियोजना है। इस संशोधित PKC-ERCP लिंक की डीपीआर की तैयारी पहले से ही चल रही है। डीपीआर के परिणाम के आधार पर, राजस्थान, मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन (MOA) को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसमें लिंक परियोजना के कार्य का दायरा, पानी का बंटवारा, पानी का आदान-प्रदान, लागत और लाभ का बंटवारा, कार्यान्वयन तंत्र और चंबल बेसिन में पानी के प्रबंधन और नियंत्रण की व्यवस्था आदि शामिल होंगे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)