सीजेआई संजीव खन्ना (सोर्स-सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : नागरिक केंद्रित एजेंडे के साथ, भारत के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने अदालतों को “सुलभ और यूजर्स के फ्रेंडली” बनाने के लिए अपने दृष्टिकोण को रेखांकित किया और कहा कि न्यायपालिका शासन प्रणाली का एक अभिन्न, फिर भी अलग और स्वतंत्र हिस्सा है। चुनौतियों का समाधान करते हुए, 51वें मुख्य न्यायाधीश ने लंबित मामलों से निपटने, मुकदमेबाजी को अफॉरडेबल और सुलभ बनाने और जटिल कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की आवश्यकता की पहचान की।
बता दें, जस्टिस खन्ना ने आज भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस खन्ना को सीजेआई पद की शपथ दिलाई। लोकतंत्र के तीसरे विंग का नेतृत्व करने में अपार सम्मान व्यक्त करते हुए, CJI खन्ना ने जोर देकर कहा कि “न्यायपालिका शासन प्रणाली का एक अभिन्न, फिर भी अलग और स्वतंत्र हिस्सा है। संविधान हमें संवैधानिक संरक्षक, मौलिक अधिकारों के रक्षक और न्याय के सेवा प्रदाता होने के महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी देता है”।
CJI का लक्ष्य एक आत्म-मूल्यांकन दृष्टिकोण अपनाना है जो अपने कामकाज में फीडबैक के प्रति ग्रहणशील और उत्तरदायी है। नागरिकों के लिए निर्णय को समझना और मध्यस्थता को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकता होगी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हमें सौंपी गई जिम्मेदारी नागरिकों के अधिकारों के रक्षक और विवाद समाधानकर्ता के रूप में हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। हमारे महान राष्ट्र के सभी नागरिकों के लिए न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना हमारा संवैधानिक कर्तव्य है।”
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मुख्य न्यायाधीश ने आपराधिक मामलों के प्रबंधन पर केंद्रित सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने एक व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाकर मुकदमे की अवधि को कम करने और न्याय प्रदान करने की प्रणाली को इस तरह से स्थापित करने पर काम करने का लक्ष्य रखा कि कानून की प्रक्रिया “नागरिकों के लिए कष्टदायक न हो”, जो सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने आज न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लिया, जो बीते रविवार को सेवानिवृत्त हुए थे।
64 वर्षीय न्यायमूर्ति खन्ना भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में छह महीने का कार्यकाल पूरा करेंगे और उनके 13 मई, 2025 को सेवानिवृत्त होने की उम्मीद है। 14 मई, 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकन कराया था और शुरुआत में तीस हजारी परिसर में जिला अदालतों में और बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय और न्यायाधिकरणों में वकालत की। आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में उनका कार्यकाल लंबा रहा।
2004 में, उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और 2006 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। न्यायमूर्ति खन्ना को 18 जनवरी, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।
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