पीएम मोदी ने एससी-एसटी सांसदों से की मुलाकात (सोर्स:- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: एससी-एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दलित समाज में एक जबरदस्त आक्रोश का महौल देखा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर देश के कई बड़े नेताओं ने भी नाराजगी जताई है।इसी मामले में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी SC-ST सांसदों से मुलाकात कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर उनके विचार को जाना, इसके साथ ही पीएम मोदी ने इस मामले में गौर करने का भरोसा भी जताया है।
प्रधानमंत्री मोदी की एससी-एसटी सांसदो के मुलाकात के बाद कई सारे सवाल खड़ हो रहे है, जिसमें सबसे पहला सवाल ये है कि क्या अब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाने वाली है या फिर इसके लिए पीएम मोदी ने एससी-एसटी सांसदों के समर्थन के लिए कोई और रास्ता अपनाएंगे।
ये भी पढ़ें:-मनीष सिसोदिया को मिली जमानत, 17 महीनों के बाद जेल से बाहर आएंगे दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में आएं एससी-एसटी सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर संयुक्त रूप से एसटी/एससी के लिए क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा और मांग की कि इस फैसले को हमारे समाज में लागू नहीं किया जाना चाहिए। जिसके बाद पीएम मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस मामले को देखेंगे।
जानकारी के लिए बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान और रामदास अठावले ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया था। जहां चिराग पासवान ने कहा था कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील करने वाली है।
चलिए अब आपको हम आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में बताते है। बीते 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है ताकि जो जातियां सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं उन्हें आरक्षण मिल सके।
ये भी पढ़ें:-जेल से छूटने के बाद भी ‘आजाद’ नहीं होंगे मनीष सिसोदिया, SC ने 3 शर्तों पर दी है जमानत
जिसके बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि इच्छा और राजनीतिक लाभ के आधार पर।