अरविंद केजरीवाल (सोर्स-सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जब से अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है तब से अगले मुख्यमंत्री को लेकर तरह-तरह के प्रयास लगाए जा रहे हैं। वहीं इस बात की संभावना भी जताई जा रही है कि दिल्ली के विधानसभा के चुनाव महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव के साथ कराए जा सकते हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी ने मंथन के बाद जल्दबाजी में चुनाव कराने के मूड में नहीं दिख रही है।
जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दिल्ली सरकार के हालात दिखाई दे रहे हैं, वैसे यह लग रहा है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी को अपना एक नया मुख्यमंत्री ही चुनना ही होगा, जो चुनाव तक दिल्ली की सरकार आसानी से चला ले। इस बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साफ किया कि दिल्ली सरकार को चलाने के लिए जल्द ही अगले मुख्यमंत्री का चयन किया जाएगा और इसके लिए पार्टी विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी। विधायक दल की बैठक में ही अगले मुख्यमंत्री का चुनाव होगा।
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ये नेता हैं रेस में शामिल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शराब घोटाले मामले में जेल से बाहर आए मनीष सिसोदिया को कोई पद नहीं दिए जाने का ऐलान किया है। ऐसे में सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री बनने की रेस में उनकी कैबिनेट में मंत्री आतिशी, कैलाश गहलोत, गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज या फिर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी हो सकती हैं, लेकिन एक और नाम इस रेस में शामिल हो सकता है। वह नेता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सबसे करीबी है, लेकिन फिलहाल राज्यसभा का सांसद है। ऐसे में संजय सिंह के नाम पर सहमति बनायी जा सकती है, ताकि दिल्ली के नेताओं में खींचतान न हो।
177 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 177 दिन बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने जेल से बाहर आने की जमानत दी तो कोर्ट ने शर्त रखा था कि वह मुख्यमंत्री के ऑफिस नहीं जाएंगे और न ही किसी फाइल पर साइन करेंगे। ऐसी स्थिति में जेल से बाहर आने के बाद भी मुख्यमंत्री रहते हुए उनके पास कोई नीतिगत पावर नहीं रह जाता है। इसीलिए वह नए मुख्यमंत्री का चुनाव करना चाहते हैं, ताकि सरकार आसानी से चल सके।
सरकार के पास पांच महीने का है समय
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म होने वाला है अर्थात् समय के हिसाब से देखा जाए तो दिल्ली सरकार के पास चुनाव में अभी 5 महीने का वक्त है। इस दौरान सरकार जल्दबाजी में चुनाव कराने का फैसला लेने से बचना चाहेगी और बचे हुए कुछ महीनों में लोक लुभावनी योजनाओं पर फैसला लेकर जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिश करना चाहेगी। इसके लिए अरविंद केजरीवाल की भूमिका अहम होगी।
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वहीं अरविंद केजरीवाल जेल से छूटने के बाद अपने लिए सिंपैथी वोट बटोरने की कोशिश करेंगे और वह अगले दो-तीन महीने में दिल्ली की जनता के साथ मिलजुल कर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करेंगे, ताकि विधानसभा चुनाव बाद एक बार फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ सकें।