केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फोटो- सोशल मीडिया)
Amit Shah Spoke on Hindi Diwas: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को लेकर आज अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में अपना मत सामने रखा है। गांधीनगर में पांचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी का किसी भी क्षेत्रीय भाषा से कोई टकराव नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंदी को सिर्फ बोलचाल या प्रशासन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्यायपालिका और पुलिस की भाषा के रूप में भी स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि जनता से सीधा जुड़ाव हो सके।
अमित शाह ने अभिभावकों से एक खास अपील करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों से उनकी मातृभाषा में ही बात करें। उन्होंने मनोवैज्ञानिकों और शिक्षाविदों का हवाला देते हुए समझाया कि बच्चे अपनी मातृभाषा में ही सोचते हैं। जब उन पर कोई दूसरी भाषा थोपी जाती है, तो उनके दिमाग की लगभग 30 प्रतिशत क्षमता उस भाषा का अनुवाद करने में ही खर्च हो जाती है। शाह के अनुसार, मातृभाषा में बातचीत करना बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए बेहद जरूरी है और इससे देश भी मजबूत होगा।
गृह मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रौद्योगिकी का उपयोग करके स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने का काम किया जा रहा है। इसी दिशा में गृह मंत्रालय ने एक ‘भारतीय भाषा अनुभाग’ भी बनाया है, जो हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देगा। उन्होंने ‘बहुभाषा अनुवाद सारथी’ जैसे सॉफ्टवेयर का उल्लेख किया, जिसे उन्नत तकनीक की मदद से अनुवाद के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में देश का हर नागरिक इस तकनीक के माध्यम से अपनी भाषा में संवाद कर सकेगा।
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अमित शाह ने महात्मा गांधी, दयानंद सरस्वती और सरदार पटेल जैसे नेताओं को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हिंदी के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विश्वास दिलाया कि हिंदी को अधिक लचीला बनाकर इसे हर भारतीय की भाषा बनाया जाएगा। शाह ने बताया कि ‘हिंदी शब्द सिंधु’ का शब्दकोश, जिसमें आज 7 लाख से अधिक शब्द हैं, 2029 तक दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोश बन जाएगा। उन्होंने कहा कि समय के साथ बदलाव जरूरी है, क्योंकि जो नहीं बदलते वे इतिहास बन जाते हैं और हमारी भाषा हमारा इतिहास, वर्तमान और भविष्य तीनों है।