पॉलीथिन से कौन सी बीमारियां होती हैं (सौ.सोशल मीडिया)
प्लास्टिक ने हमारे लाइफ को जितना आसान बनाया है। यह उतना ही सेहत और पर्यावरण के लिए खतरनाक भी है। चाहे वह पानी की बोतल हो,खाने की पैकिंग हो या रोजमर्रा यानी डेली यूज में आने वाली पॉलीथिन ही क्यों न हो। हम चारों और से पॉलीथिन से घिरे हुए हैं।
भले ही सरकार ने प्लास्टिक के बैग्स को बैन यानी प्रतिबंध कर दिया है, लेकिन फिर भी बाजारों में धड़ल्ले से प्लास्टिक के पॉलीथिन मिल रहे हैं।
पिछले कुछ सालों में पॉलीथिन का इस्तेमाल इतना ज्यादा बढ़ गया है कि अब ये सुविधा की बजाय जानलेवा साबित हो रही है। पॉलीथिन कैंसर से लेकर सांस की बीमारियों समेत कई गंभीर बीमारियों का बड़ा कारण बन रही हैं। ऐसे में आइए जानते हैं पॉलीथिन से कौन सी बीमारियां होती हैं।
कैंसर का खतरा
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, प्लास्टिक के यूज से सबसे ज्यादा दो बड़ी बीमारियों का खतरा रहता है। एक अस्थमा और दूसरी पल्मोनरी कैंसर। दरअसल प्लास्टिक में मौजूद टॉक्सिन से सबसे पहले व्यक्ति अस्थमा की समस्या से जूझता है, जिसमें उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है।
वहीं इससे पल्मोनरी कैंसर भी कैसे होता है, वो ऐसे कि जब भी प्लास्टिक को जलाते हैं, जो उसमें से जहरीली गैस निकलती है, जिसे हम इनहेल करते हैं और इससे पल्मोनरी कैंसर होने की सबसे ज्यादा संभावना होती है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि पॉलीथिन प्लास्टिक महिलाओं और पुरुषों दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। रिसर्च की मानें तो प्लास्टिक को मुलायम बनाने वाले रसायन शुक्राणुओं की संख्या कम और क्वालिटी खराब कर सकते हैं।
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि, प्लास्टिक से बच्चों को बिल्कुल दूर रखना चाहिए। इससे बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट आ सकती है। प्लास्टिक के डिब्बे और बोतलों में BPA एक एंडोक्राइन डिसरप्टर पाया जाता है जो शरीर के हार्मोन सिस्टम पर असर डालता है।
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आपको बता दें, प्लास्टिक से केवल सेहत ही प्रभावित नहीं हो रहा है। बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहा है पॉलीथिन एक नॉन-बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है, यानी यह मिट्टी में घुलता नहीं है और सालों तक वैसे ही पड़ा रहता है।
नालियों को जाम करता है। जब पॉलीथिन कूड़े में फेंका जाता है और वह नालियों में चला जाता है, तो यह जलजमाव की समस्या उत्पन्न करता है। यह गंदा पानी बीमारियों का घर बन जाता है।
मच्छरों का प्रजनन भी पॉलीथिन के कारण बढ़ रहा है। रुके हुए पानी में मलेरिया, डेंगू जैसे जलजनित रोगों के लिए मच्छरों पनपने लगते हैं।
इसलिए हमें अपने जीवन से पॉलीथिन को पूरी तरह आउट कर देना चाहिए। इसकी जगह कपड़े, जूट, कागज या अन्य बायोडिग्रेडेबल बैग्स का उपयोग करें। सरकार ने प्लास्टिक पॉलीथिन पर बैन लगाया हुआ है बावजूद इसके लोग धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। बेहतर होगा कि सरकार का सहयोग करें और खुद स्वस्थ रहें।