
गूलर (सौ. फ्रीपिक)
Gular Health Benefits: उम्र बढ़ने के साथ शरीर में बदलाव आने लगते हैं। समय के साथ शरीर में जोश और ऊर्जा धीरे-धीरे कम होने लगती है। त्वचा की चमक घटने लगती है और झुर्रियां आने लगती हैं। पाचन कमजोर हो जाता है और कभी-कभी जोड़ों और हड्डियों में दर्द भी शुरू हो जाता है। इसी बीच आयुर्वेद में एक ऐसा पेड़ बताया गया है जो इन सब समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।
हम जिसकी बात कर रहे हैं उसका नाम गूलर का पेड़ है। जिसे वैज्ञानिक नाम से फिकस रेसमोसा कहते हैं। यह पेड़ दिखने में अंजीर जैसा है, लेकिन इसके गुण इसे आम पेड़ों से अलग बनाते हैं।
आयुर्वेद में गूलर के फल, पत्ते, तना और छाल सभी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बताए गए हैं। इसके पत्ते पित्त और कफ को संतुलित करते हैं और पाचन में मदद करते हैं। आयुर्वेद में पत्तों का प्रयोग लंबे समय से शरीर की ताकत और ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। गूलर के फल भी अलग-अलग समय पर अलग गुण देते हैं। इसके कच्चे और पके फल दोनों का उपयोग किया जा सकता है। फल आकार में गोल होते हैं और दिखने में अंजीर जैसे लगते हैं।
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गूलर की छाल और तना भी औषधीय गुणों से भरपूर हैं। छाल में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में सूजन कम करते हैं और यकृत की रक्षा करते हैं। पेड़ से निकलने वाला दूध भी फायदेमंद है। इसे बाहरी रूप से लगाने से घाव जल्दी भरते हैं, फोड़े-फुंसी में आराम मिलता है और त्वचा संक्रमण दूर होते हैं।
वैज्ञानिक शोध में भी साबित हुआ है कि गूलर में मौजूद तत्व शरीर की कोशिकाओं को मजबूत बनाते हैं। इससे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी होती है, झुर्रियां कम आती हैं, त्वचा स्वस्थ रहती है और अंग अपनी सही गति से काम करते हैं। गूलर के सेवन से शरीर की ऊर्जा बनी रहती है और रक्त की सफाई भी होती है। यह डायबिटीज और दिल संबंधी बीमारियों जैसी समस्याओं में भी मदद करता है।
गूलर मुंह से जुड़ी दिक्कतों को दूर करता है। इसे आप किसी भी तरह से डाइट में शामिल कर सकते हैं। अगर आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है तो इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
इस आर्टिकल में दी गई जानकारी सामान्य स्रोतों और उपलब्ध जनरल नॉलेज पर आधारित है। इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नवभारत की टीम नहीं करती है।






