कैसे करें ट्रॉमा से बचाव (सौ.सोशल मीडिया)
World Trauma Day: हर किसी के जीवन में एक ऐसा भी समय आता हैं जब दुर्घटनाओं का असर शरीर पर पड़ता हैं। आज दुनियाभर में 17 अक्टूबर को विश्व ट्रॉमा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है इसका उद्देश्य ट्रॉमा की घटनाओं के प्रति जागरूक करने से होता है। इसके लक्षण पहचान कर ट्रॉमा का बचाव किया जाता है। इसका असर शरीर के अंगों पर पड़ने के साथ दिल और दिमाग पर भी पड़ती है।
यहां पर ट्रॉमा एक तरह से सदमे की तरह होता है इसमें जीवन में अचानक आने वाली घटनाओं का असर दिल और दिमाग पर पड़ता है इतना ही नहीं कई लोग को सदमे में आने की वजह से बीमारी का शिकार होते हैं इस स्थिति को ट्रॉमा कहा जाता है। किसी भी व्यक्ति को अचानक से लगने वाले गहरे आघात, सदमे या क्षति को ट्रॉमा कहते है। यह ट्रॉमा की स्थिति ऐसी दुर्घटना है जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से नुकसान पहुंचाती है।
यहां पर ट्रॉमा की बात की जाए तो, यह स्थिति व्यक्ति के जीवन में कई कारणों से आ सकती है। इसमें सड़क दुर्घटना, किसी करीबी का जीवन छोड़कर चले जाना, तलाक, बीमारी, कोई प्राकृतिक आपदा, घरेलू लड़ाई और झगड़े। इस बीमारी के कारणों के अलावा लक्षण भी होते हैं जिन्हें पहचानकर आप ट्रॉमा की स्थिति का इलाज कर सकते है।
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यहां पर ट्रॉमा बीमारी से जुड़े कई लक्षण सामने आते है जिनके बारे में जान लेना जरूरी है..
ज्यादा गुस्सा आान, चिड़चिड़ापन और मूड में बदलाव।
शर्म या झिझक महसूस करना।
निराशा और उदास रहना।
अकेलेपन का अहसास होना।
किसी तरह की चिंता, भय और डर होना।
यहां पर ट्रॉमा की स्थिति से बाहर निकलना व्यक्ति के लिए ज्यादा जरूरी होता है इस दौरान ख्याल रखना जरूरी है..
1-अगर आपके आस-पास कोई किसी सदमे से गुजर रहा है तो उसका सहारा बनें उसे गम से निकलने में मदद करें।
2- अगर अकेलेपन में रहेंगे तो ज्यादा बुरी आदतें परेशान करेगी इसलिए हमे इन सब से बाहर निकलने की जरूरत हैं।
3- अगर ट्रॉमा से गुजर रहा है तो उसे अच्छी एक्टीविटीज में शामिल करवाएं।
5- ट्रॉमा की स्थिति से बाहर निकलने के लिए मेडिटेशन और योग का सहारा अपनाना चाहिए।