जगदीप धनखड़, अमित शाह, पीएम मोदी (फोटो-नवभारत डिजाइन)
JagdeeP Dhankar News: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से दिल्ली की सियासत में भूचाल आ गया था। हालांकि इस्तीफे के झटका ज्यादा सरकार को महसूस नहीं हुआ, क्योंकि धनखड़ ने इस्तीफे का बाद चुप्पी साधी हुई है। पूरे 48 दिन हो गए, लेकिन इस्तीफे की वजहों पर न वो किसी से बात करना चाहते हैं और न ही वो पब्लिक प्लेटफॉर्म पर देखे जा रहे हैं। वहीं सरकार की तरफ से धनखड़ के इस्तीफे की वजह को स्वास्थ्य का ही कारण बताया जाता है। जैसा कि धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा था।
पूर्व उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के पीछे मीडिया में कई तरह की थ्योरीज चल रहीं हैं। दैनिक भास्कर के मुताबिक धनखड़ के करीबियों ने बताया कि उन्होंने खुद इस्तीफा नहीं दिया था। उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। सूत्रों के मुताबिक उनके पास दो विकल्प थे। पहला की वो स्वयं इस्तीफा दे दें और दूसरा राज्यसभा में नो कॉन्फिडेंस मोशन का सामना करें। इसके बाद धनखड़ ने इस्तीफा देने का फैसला लिया।
राजनीतिक गलियारों में भाजपा शीर्ष नेतृत्व और जगदीप धनखड़ के बीच अनबन की कहानियां चल रही हैं, लेकिन असली वजह क्या है? यह किसी को नहीं पता है। वहीं धनखड़ की चुप्पी पर उनके करीबियों का कहना है कि सूत्र बताते हैं कि 9 सितंबर से पहले ये चुप्पी नहीं टूटने वाली है। सही वक्त आने पर सही जगह वे सामने आएंगे और स्थिति स्पष्ट करने के बारे में स्वयं फैसला लेंगे। इस्तीफे की वजह पर एक करीबी सोर्स ने बताया कि धनखड़ इस बारे में फोन पर किसी से बातचीत नहीं करना चाहते हैं। उनसे मुलाकात का संयोग अभी तक नहीं बन पाया है। जल्द ही उनसे मुलाकात होगी तो पूरा सच बाहर आएगा।
गौरतलब है कि 9 सितंबर को नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है। इसमें NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी से है। इस चुनाव से पहले जगदीप धनखड़ का कोई भी बयान सियासी भूचाल ला सकता है। मीडिया थ्योरीज में पार्टी शीर्ष नेतृत्व से धनखड़ की अनबन और प्रोटकॉल की चाहत की जो खबरें चल रहीं हैं। अगर ये सच निकलीं और धनखड़ ने अनबन की वजहों का खुलासा किया तो सिंहासन डोलने वाला सियासी मुहावरा सच हो सकता है। जो भारतीय लोकतंत्र और केंद्र सरकार के लिए बुरे सपने से कम नहीं होगा।
उपराष्ट्रपति का बंगला जगदीप धनखड़ ने छोड़ दिया है। वह छतरपुर स्थित अभय चौटाला के फार्महाउस में शिफ्ट हुए हैं। बता दें कि अभय चौटाला और जगदीप धनखड़ का बहुत पुराना पारिवारिक संबंध है। 2 सितंबर को जब धनखड़ अभय चौटाला के फार्म हाउस में शिफ्ट हुए तो चौटाला ने कहा धनखड़ और उनके परिवार का रिश्ता बहुत पुराना और गहरा है। इस फार्महाउस में धनखड़ जब तक चाहें रहें। ये उनका ही घर है। वैसे 4-5 महीने तक तो कम से कम इसी फार्महाउस में रहेंगे।
जगदीप धनखड़ इनेलो के संस्थापक व पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल चौटाला को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। जब देवी लाल उप प्रधानमंत्री बने थे तो जगदीप धनखड़ को कैबिनेट मंत्री बनाया था। इसलिए धनखड़ का चौटाला परिवार से संबंध राजनीतिक से ज्यादा निजी है। चर्चा है कि जगदीप धनखड़ क्या अब चौटाला परिवार के साथ मिलकर जाट राजनीति करेंगे। क्योंकि धनखड़ के पास 4-5 महीने रहने के लिए कई विकल्प मौजूद थे, लेकिन उन्होंने चौटाला का ही फार्महाउस चुना। जगदीप धनखड़ के भाजपा में जानें से राजनीतिक धराएं अलग-अलग हो गईं थीं। क्या अब एक होंगी।
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हालांकि इस बारे में अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन जल्द ही इसपर स्पष्टीकरण आ जाएगा। 25 सितंबर को चौधरी देवीलाल की जयंती है। इस दिन इनेलो एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करती है। इस बार रोहतक में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम में देखने वाली बात होगी कि क्या धनखड़ शामिल होंगे। यह तो तय मंच से कांग्रेस और भाजपा दोनों पर हमले होंगे।