जिंदा महिला को मरा बता पोस्टमार्टम हाउस भेजा (फोटो- सोशल मीडिया)
फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद स्थित बीके अस्पताल से एक चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है। एक गंभीर रूप से बीमार महिला को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर शवगृह भेज दिया, लेकिन पोस्टमार्टम से पहले जब जांच की गई, तो पता चला कि महिला की सांसें चल रही थीं। इसे लेकर परिजनों के साथ-साथ आम जनता में भी नाराजगी फैल गई है। अस्पताल प्रबंधन की संवेदनहीनता ने चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बल्लभगढ़ निवासी 42 वर्षीय महेंद्री देवी लंबे समय से बीमार चल रही थीं। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें बल्लभगढ़ सिविल अस्पताल से बीके अस्पताल रेफर किया गया था। वहां पहुंचने के बाद उन्हें आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने जल्दीबाज़ी में ईसीजी जांच के आधार पर उन्हें मृत घोषित कर दिया और पोस्टमार्टम के लिए शवगृह भेज दिया। वहीं, पोस्टमार्टम हाउस में तैनात डॉक्टर ने महिला में सांसों की हरकत देखी और उन्हें फिर से इमरजेंसी में भिजवाया गया।
जांच में लापरवाही या तकनीकी खामी
जब महिला को दोबारा ईसीजी के लिए लाया गया तो कुछ ही देर बाद दोबारा मृत्यु की पुष्टि हो गई। बीके अस्पताल के आरएमओ डॉ. प्रशांत ने कहा कि महिला की पहली ईसीजी में मृत्यु दर्शाई गई थी, लेकिन डॉक्टर को थोड़ी शंका हुई। इसी कारण दोबारा जांच कराई गई, जिसमें भी महिला मृत पाई गई। हालांकि इस प्रक्रिया ने अस्पताल की सतर्कता और संवेदनशीलता पर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं।
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मरीज के जीवन के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों?
परिजनों का कहना है कि यदि पोस्टमार्टम से पहले महिला की जांच नहीं होती, तो जिंदा इंसान को मृत मानकर ऑपरेशन टेबल पर ले जाया जा सकता था। यह केवल लापरवाही नहीं बल्कि एक गंभीर अपराध की तरह है। आम लोगों में अब चिकित्सा संस्थानों पर से भरोसा उठता नजर आ रहा है। प्रशासन से मांग की जा रही है कि दोषी डॉक्टरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई हो। कहा गया कि महिला की मौत हो चुकी थी, जिसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया गया। लेकिन, डॉक्टर को थोड़ा शक हुआ। जिसके आधार पर दोबारा ईसीजी कराई गई। जिसमें महिला मृत पाई गई।