
तीजन बाई (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
मुंबई: तीजन बाई छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध गायिका हैं। उन्हें पारंपरिक प्रदर्शन कला और पंडवानी की एक कलाकार के रूप में जाना जाता है। उन्होंने संगीत के साथ महाभारत की कहानियों पर खूब मंचन किया हैं। साथ ही उन्होंने पंडवानी शैली में गायन करके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का नाम ऊंचा किया है।
वहीं आज यानि 24 अप्रैल को गायिका अपना 69वां जन्मदिन मना रही है। इस खास मौके पर चलिए जानते हैं उनके करियर से लेकर उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में।
दरअसल, पंडवानी गायन में तीजनबाई के अतुल्यनीय योगदान को देखते हुए उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण का पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। बता दें, कापालिक शैली की पहली महिला पंडवानी गायिका हैं और उनका जन्म 24 अप्रैल 1956 को छत्तीसगढ़ के भिलाई गनियारी गांव में हुआ था। महज 13 साल की उम्र में उन्होंने पंडवानी शैली में गायन शुरु कर दिया था।
उन्हें 1987 में पद्म श्री, 2003 में पद्म भूषण और 2019 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है, इसके अलावा 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, भारत के राष्ट्रीय संगीत, नृत्य और नाटक अकादमी, संगीत नाटक अकादमी द्वारा दिया गया। 1980 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने एक सांस्कृतिक राजदूत के रूप में इंग्लैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, तुर्की, ट्यूनीशिया, माल्टा, साइप्रस, रोमानिया और मॉरीशस जैसे देशों में दुनिया भर की यात्रा की। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू की किताब पर आधारित श्याम बेनेगल की प्रशंसित दूरदर्शन टीवी श्रृंखला भारत एक खोज में महाभारत के दृश्यों का प्रदर्शन किया ।
आज भी वह अपनी अनूठी लोक गायकी और दमदार आवाज से दुनिया भर के श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर रही हैं; और अपनी गायकी को युवा पीढ़ी तक पहुंचा रही हैं। हाल ही में उन्हें 2019 में पद्म विभूषण का सर्वोच्च सम्मान मिला है।
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हालांकि उनकी शादी 12 साल की उम्र में हो गई थी, लेकिन एक महिला होने के नाते पंडवानी गाने के कारण उन्हें समुदाय, ‘पारधी’ जनजाति द्वारा निष्कासित कर दिया गया था। उसने अपने लिए एक छोटी सी झोपड़ी बनाई और पड़ोसियों से बर्तन और खाना उधार लेकर खुद रहने लगी, फिर भी उसने कभी गाना नहीं छोड़ा, जिसका उसे सबसे ज्यादा फायदा मिला। वह कभी अपने पहले पति के घर नहीं गई और बाद में अलग हो गई । अगले वर्षों में, उसने दो बार शादी की और बाद में दादी बन गई।






