
मेहुल चोकसी, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Belgium Supreme Court Mehul Choksi: भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को भारत लाने की प्रक्रिया अब तेज हो सकती है, क्योंकि बेल्जियम के सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को उसकी प्रत्यर्पण विरोधी अपील को खारिज कर दिया।
चोकसी ने भारत प्रत्यर्पण को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अपील में दम नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है। कोर्ट के इस फैसले के बाद पहले से लागू अपीलीय अदालत का निर्णय बरकरार रहेगा।
कोर्ट ऑफ कैसेशन के प्रवक्ता और एडवोकेट जनरल हेनरी वेंडरलिंडन ने कहा कि कोर्ट ऑफ कैसेशन ने अपील खारिज कर दी है। इसका मतलब है कि कोर्ट ऑफ अपील का फैसला कायम है और प्रत्यर्पण प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है।
एंटवर्प अपीलीय न्यायालय ने पहले ही भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को स्वीकार करते हुए इसे प्रवर्तनीय करार दिया था। न्यायालय ने यह भी माना कि चोकसी को भारत में प्रत्यर्पण के बाद निष्पक्ष सुनवाई से वंचित किये जाने या दुर्व्यवहार का कोई जोखिम नहीं है। अदालत के मुताबिक, भारत ने अदालत के समक्ष यह भरोसा दिलाया कि पूरी प्रक्रिया कानून के अनुसार और पारदर्शिता के साथ होगी।
मेहुल चोकसी, पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के मामले में मुख्य आरोपी है। जनवरी 2018 में वह एंटीगुआ और बारबुडा भाग गया था। इसके बाद उसे बेल्जियम में देखा गया, जहां वह कथित तौर पर इलाज के लिए गया था।
भारत ने चोकसी के खिलाफ मुंबई की विशेष अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के आधार पर 27 अगस्त 2024 को बेल्जियम सरकार को आधिकारिक प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा था। लंबे समय तक चली कानूनी प्रक्रिया के बाद अब बेल्जियम के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ने भारत की जांच एजेंसियों की उम्मीदों को मजबूती दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कोर्ट के इस फैसले से चोकसी को भारत लाने की कानूनी बाधाएं लगभग समाप्त हो गई हैं। अब बेल्जियम सरकार द्वारा औपचारिक हस्ताक्षर और प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसे भारत भेजा जा सकता है।
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पीएनबी घोटाला देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक है, जिसमें मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी मुख्य आरोपी हैं। चोकसी का प्रत्यर्पण भारत की जांच और मुकदमे की प्रक्रिया को मजबूत करेगा।






