एक्टिंग को लेकर सिमरत कौर ने कहा, मैं अपनी मां के सपने को जी रही हूं
Simratt Kaur Randhawa: फिल्म ‘गदर 2’ से हिंदी सिनेमा में अपनी ग्रैंड शुरुआत करने वाली अभिनेत्री सिमरत कौर हाल ही में फिल्म ‘वनवास’ में नाना पाटेकर और उत्कर्ष शर्मा के साथ नजर आई। उनकी ये फिल्म थिएटरों में रिलीज होने के बाद अब जी5 ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आज रिलीज हुई। फिल्म की ओटीटी रिलीज को लेकर उत्साहित एक्ट्रेस ने नवभारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की, जहां उन्होंने ये फिल्म और अपने करियर सहित अन्य चीजों पर खुलकर बातचीत की। पेश है इस बातचीत के कुछ अंश…
‘वनवास’ अब ओटीटी के जरिए दुनियाभर की ऑडियंस के लिए उपलब्ध होगी, इसे लेकर कितनी उत्साहित हैं?
मैं बेहद उत्साहित हूं और आज के युग में एक्टर होने के कई फायदे हैं क्योंकि आज आपके पास ओटीटी प्लेटफॉर्म है। कई बार ऐसा होता है कि अनेकों कारणों के चलते लोग फिल्मों को सिनेमाघरों में नहीं देख पाते हैं और वे उसे दोबारा तो सिनेमाघरों में नहीं देख सकते हैं, लेकिन अब आपके पास ये सुविधा है कि आप अच्छी क्वालिटी में उसी फिल्म को ओटीटी पर देख सकते हैं तो मैं खुश हूं कि हमारी फिल्म को लोग अब ओटीटी पर देख सकेंगे।
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आपकी मां आपके काम और करियर को लेकर कितना सपोर्टिव रही हैं?
मुझे ऐसा लगता है कि मैं अपनी मां के सपने को जी रही हूं। वे अमृतसर से हैं और उनके पास इतनी सुविधा नहीं था कि वे फिल्मों में आ सकें और अभिनेत्री बनना एक टैबू माना जाता है कि लडकियां फिल्मों में काम करती अच्छी नहीं लगती। मेरी मां एक स्पोर्ट्स प्लेयर रही हैं। वो मुझे बताती हैं कि वो स्कूल में काफी मोनोलोग और ड्रामा करती थी और मुझे यकीन हैं कि उनके ही ये गुण मेरे भीतर आए हैं और मैं इस क्षेत्र में आ गई। जब मुझे पहली बार फिल्म में काम करने का ऑफर मिला था तो मैंने साफ इनकार कर दिया था लेकिन मां इसे लेकर बेहद खुश थे। मेरे पेरेंट्स ने कहा कि मुझे एक्टिंग में आगे बढ़ना चाहिए और माता-पिता के सपोर्ट के बिना आप शांतिपूर्वक जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते। मेरी मां आज भी मेरे सभी मीडिया इंटरव्यूज और शूट्स पर मेरे साथ आती हैं। वे इंटरनेट पर मुझसे जुड़ी हर खबर हर कमेंट को पढ़ती हैं और मेरा भरपूर ध्यान रखती हैं।
आपको लगता है कि एक्टर बनना किस्मत में लिखा था क्योंकि आप तो कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रही थी?
मैंने तेलुगू फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की थी। जब मैंने तेलुगू पढ़नी शुरू की तो वो इतनी मुश्किल लगी कि मैंने सोचा कंप्यूटर साइंस ही ठीक था। मैं मानती नहीं था लेकिन अब एहसास होता है कि जीवन में किस्मत का भी बड़ा रोल होता है क्योंकि मैंने अपनी ओर से पूरी कोशिश की थी कि मैं फिल्मों में न आऊं, मैं अपने ऑडिशन से भी भाग गई थी क्योंकि बचपन से कभी इस दिशा में सोचा ही नहीं था। मेरे घर में सभी स्पोर्ट्स प्लेयर रहे हैं तो मेरी रूचि स्पोर्ट्स में थी। मां ने कहा कि स्पोर्ट्स में न सही तो कंप्यूटर साइंस कर में अपना करियर बना लो और फिर किस्मत ने मुझे खींचकर एक्टिंग में लाकर खड़ा कर दिया। अपनी दूसरी फिल्म के बाद मुझे समझ आया कि मुझे अपने जीवन में एक्टिंग में आगे बढ़ना चाहिए।
आप अपने जीवन में आलोचनाओं को किस तरह से लेती हैं जैसे कभी सोशल मीडिया पर नेगेटिव कमेंट्स भी आते हैं?
सच कहूं तो ‘गदर 2’ के बाद इतना प्यार मिला कि आलोचनाओं की तरफ कभी ध्यान ही नहीं गया क्योंकि प्रशंसा अधिक थी। मैं लकी रही हूं कि मुझे लोगों की उतनी नफरत का सामना नहीं करना पड़ा। अब 100 में से एक ऐसा इंसान होता ही है जिसे कोई काम नहीं होता और वो सोशल मीडिया पर बैठकर बेतुके कमेंट्स करता है। शुरुआत में जब कुछ लोग नफरत भरे कमेंट करते थे और मैं उनसे पूछती थी कि आप ऐसा क्यों कह रहे हो? तो वो जवाब देते थे, ‘मैम बस आपका रिप्लाई चाहिए था।’ देखिये आलोचना का होना भी जरूरी है लेकिन उसे व्यक्त करने का एक सही तरीका और मर्यादित भाषा होती है।
एक एक्टर के रूप में आप रिस्क लेने में विश्वास करती हैं? आप एक ‘द दिल्ली फाइल्स’ नामक एक फिल्म भी कर रही हैं।
जी बिलकुल, क्योंकि अगर मैं अपने अभिनय से ये नहीं बता पाउंगी कि मैं अलग-अलग जॉनर की फिल्में कर सकती हूं तो लोग मेरे टैलेंट को कैसे समझेंगे? क्योंकि मैंने ‘ग़दर 2’ में पाकिस्तानी लड़की का रोल किया था अब मुझे 10 पाकिस्तानी लड़की के रोल्स ऑफर हो रहे हैं। तो मैंने ये बात कही कि मैं और भी विविध रोल्स कर सकती हूं। अब ‘द दिल्ली फाइल्स’ में मैं एक बंगाली लड़की का किरदार निभा रही हूं और इससे पहले ‘वनवास’ में मैंने एक बनारसी लड़की का किरदार निभाया। तो कोशिश यही रही कि मैं अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर अच्छे और विभिन्न रोल्स करूं। अब ‘द दिल्ली फाइल्स’ में कोई ग्लैमर नहीं है और और विवेक अग्निहोत्री सर ने जो किरदार लिखा है वो शानदार है और उसमें प्रभावशाली एक्टिंग की जरूरत है।