
राजेश खन्ना (फोटो- सोशल मीडिया)
Rajesh Khanna Birth Anniversary: 29 दिसंबर 1942 को पंजाब के अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना, जिन्हें हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार कहा जाता है, आज भी अपने करिश्मे, अभिनय और रिकॉर्ड्स के लिए याद किए जाते हैं। उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर उनसे जुड़े कई किस्से एक बार फिर चर्चा में आ जाते हैं। इन्हीं में से एक बेहद चर्चित किस्सा यह भी है कि एक समय ऐसा था जब भिखारी भगवान के नाम पर नहीं, बल्कि राजेश खन्ना के नाम पर भीख मांगते थे।
यह बात खुद राजेश खन्ना ने एक इंटरव्यू में साझा की थी। दरअसल, उनकी एक फिल्म की शूटिंग मुंबई के विले पार्ले स्थित मिठीबाई कॉलेज में हो रही थी। शूटिंग सेट के बाहर एक भिखारी राजेश खन्ना के नाम पर भीख मांग रहा था। यह देखकर खुद काका हैरान रह गए थे। इस घटना के बाद यह चलन और जगहों पर भी देखने को मिला, जो उनके स्टारडम की ऊंचाई को दर्शाता है।
राजेश खन्ना ने 1969 से 1972 के बीच लगातार 17 सुपरहिट फिल्में देकर इतिहास रच दिया था। यह रिकॉर्ड आज तक कोई अभिनेता नहीं तोड़ पाया है। उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि दर्शक एक फिल्म खत्म होने के बाद दूसरी फिल्म देखने के लिए उसी थिएटर में रुक जाया करते थे। उस दौर में बड़े-बड़े सिनेमाघरों में एक साथ 5-6 फिल्में सिर्फ राजेश खन्ना की ही लगी रहती थीं।
लगातार मिल रही सफलता और जबरदस्त फैन फॉलोइंग एक समय पर राजेश खन्ना के लिए परेशानी का कारण बन गई। कहा जाता है कि वह चाहते थे कि उनकी कुछ फिल्में फ्लॉप हो जाएं, ताकि उन्हें थोड़ी राहत मिल सके। लेकिन जब बाद में उनकी फिल्में वाकई फ्लॉप होने लगीं, तो वह इस सदमे को संभाल नहीं पाए।
बताया जाता है कि जब राजेश खन्ना की लगातार 7 फिल्में फ्लॉप हुईं, तो वह पूरी तरह टूट गए। इस दौर में वह नशे की ओर झुकने लगे। एक घटना के अनुसार, एक रात तेज बारिश के बीच घर में सभी लोग सो रहे थे, तभी अचानक राजेश खन्ना जोर-जोर से रोने लगे। उनकी हालत देखकर पत्नी डिंपल कपाड़िया भी घबरा गई थीं।
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लेखक यासिर उस्मान ने अपनी किताब ‘The Untold Story of India’s First Superstar’ में लिखा है कि करियर के गिरते ग्राफ ने राजेश खन्ना को गहरे डिप्रेशन में डाल दिया था। हालात इतने खराब हो गए थे कि वह आत्महत्या के बारे में भी सोचने लगे थे। राजेश खन्ना का जीवन सफलता, जुनून, अकेलेपन और संघर्ष का अनोखा मिश्रण रहा। उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर यह कहना गलत नहीं होगा कि काका सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक ऐसा दौर थे, जिसे हिंदी सिनेमा कभी भूल नहीं सकता।






