
पृथ्वीराज कपूर (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
Prithviraj Kapoor Birth Anniversary: भारतीय सिनेमा की दुनिया में अगर किसी परिवार ने पीढ़ियों तक अपनी छाप छोड़ी है तो वह कपूर खानदान है। इस परिवार की नींव रखने वाले और हिंदी फिल्म जगत के युगपुरुष कहलाए पृथ्वीराज कपूर का जन्म 3 नवंबर 1906 को पाकिस्तान के पंजाब में हुआ था। वो भारतीय सिनेमा के ऐसे अभिनेता थे, जिन्होंने न सिर्फ बड़े पर्दे पर अभिनय की नई परिभाषा लिखी बल्कि थिएटर को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।ऐसे में आज यानी 3 नवंबर को उनकी बर्थ एनिवर्सरी है। इस खास मौके पर चलिए उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से जानते हैं…
कपूर परिवार के पहले सदस्य के रूप में पृथ्वीराज कपूर ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। कहा जाता है कि साल 1928 में वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपनी बुआ से पैसे उधार लेकर मुंबई पहुंचे थे। उस समय उनके पास न पहचान थी और न ही कोई सहारा, लेकिन अभिनय के जुनून ने उन्हें हिंदी सिनेमा का “पापाजी” बना दिया।
पृथ्वीराज कपूर ने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की। अभिनय की बारीकियों को उन्होंने मंच से सीखा और फिर फिल्मों की ओर रुख किया। साल 1931 में उन्हें फिल्म ‘आलम आरा’ से पहला ब्रेक मिला, जो भारतीय सिनेमा की पहली बोलती फिल्म थी। इसके बाद उन्होंने ‘सिकंदर’, ‘विद्यापति’, ‘दहेज’, ‘जिंदगी’, ‘आसमान महल’, ‘तीन बहूरानियां’ जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया।

हालांकि उनकी सबसे मशहूर फिल्म रही ‘मुगल-ए-आजम’, जिसमें उन्होंने शहंशाह जलालुद्दीन अकबर का किरदार निभाया था। इस फिल्म में उनकी दमदार आवाज और संवाद आज भी लोगों के जेहन में गूंजते हैं।
थिएटर के क्षेत्र में उनका योगदान भी अतुलनीय रहा है। उन्होंने ‘पृथ्वी थिएटर’ की स्थापना की, जिसने आने वाली पीढ़ियों के लिए मंच अभिनय का मार्ग खोला। यही थिएटर आगे चलकर राज कपूर, शशि कपूर और रणधीर कपूर जैसे सितारों की पहचान की जड़ बना।
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साथ ही उन्हें योगदान के लिए पृथ्वीराज कपूर को ‘पद्म भूषण’ और मरणोपरांत ‘दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। 29 मई 1972 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन हिंदी सिनेमा में उनकी विरासत आज भी जीवंत है।






