
शूरवीर मराठा बनकर छाए विक्की कौशल, रोंगटे खड़ी कर देगी ‘छावा’ की कहानी
 
    
 
    
कहानी: ‘छावा’ ये शब्द इस्तेमाल किया जाता है वीर मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज के लिए जिसका अर्थ है शेर का बच्चा। ये कहानी महाराष्ट्र के इतिहास के सन 1657 से लेकर 1689 के बीच सेट की गई है। जब संभाजी महाराज उर्फ ‘छावा’ ने अपने पिता छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज के सपने को कायम रखने तथा स्वराज की स्थापना के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है बुरहानपुर पर मराठाओं की जीत के साथ। शिवाजी महाराज के निधन के बाद मराठाओं का वर्चस्व और स्वराज का झंडा कायम रखने के लिए संभाजी महाराज बुरहानपुर पर जीत हासिल करके मुगल शासक औरंगजेब को ये संकेत देते हैं कि मराठाओं का अंत करना संभव नहीं। इस बात से बौखलाया औरंगजेब छावा को हारने तथा उसे काबू करने के लिए अपनी जी जान लगा देता है और अंत में अपनों द्वारा दिए गए एक धोखे के कारण संभाजी महाराज को उनके 25 सलाहकारों के साथ मुगलों की बड़ी सेना संगमेश्वर में कैद लेती। औरंगजेब छत्रपति संभाजी महाराज के जिस्म को तो अपने कब्जे में कर लेता है लेकिन उनके मन, उनके शौर्य और स्वराज के लिए उनके साहस को देखकर भयभीत हो जाता है। छावा के जीवन राष्ट्र के लिए था और उनके अंतिम पलों का एक एक क्षण स्वराज की रक्षा के लिए था।
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अभिनय: विक्की कौशल इस फिल्म की जान हैं। जिस तरह से वे एक्शन से लेकर एक्सप्रेशन वाले हर सीन को निभाते हैं, ये बेहद प्रभावशाली है। एक पल के लिए आप भूल जाएंगे कि ये एक अभिनेता हैं और वे आपको बेहद शानदार तरीके से संभाजी महाराज के व्यक्तित्व का अहसास कराते हैं। उनके अलावा फिल्म में औरंगजेब के किरदार में अक्षय खन्ना भी बेहद खौफनाक लुक में नजर आए, उनके डायलॉग्स भले ही कम हैं लेकिन अभिनेता ने उसमें जान डाल दी है। इनके अलावा फिल्म में विनीत कुमार सिंह भी बेहद लाजवाब काम करते दिखे। आशुतोष राणा, दिव्या दत्ता ने भी बढ़िया काम किया है। लीड होने के बावजूद फिल्म में रश्मिका के बेहद कम डायलॉग्स और सीन्स हैं, जहां उनके काम को देखकर लगता है कि वे और महारानी येसूबाई का किरदार और बेहतर ढंग से निभा सकती थी।
म्यूजिक: फिल्म के म्यूजिक को एआर रहमान ने कंपोज किया है। हालांकि रहमान जैसे प्रतिष्ठित गीतकार से और बेहतर काम की उम्मीद थी। फिल्म में न तो कोई ऐसा थीम सॉन्ग या ट्यून है जो आपको इसके सीन्स और इसकी कहानी की याद दिलाए। कुलमिलाकर म्यूजिक के मामले में इसके एल्बम पर और बढ़िया काम की उम्मीद थी।
फाइनल टेक: लक्ष्मण उतेकर ने बेहद खूबसूरती के साथ इस फिल्म का निर्देशन किया है। फिल्म के खूबियों की बात करें तो विक्की कौशल और अक्षय खन्ना की एक्टिंग, इसके एक्शन और फाइट सीन्स, फिल्म के डायलॉग्स और साथ ही बैकग्राउंड म्यूजिक शानदार है। वहीं फिल्म में हमें रश्मिका की परफॉर्मेंस से और भी बेहतर काम की आशा थी। इसके अलावा फिल्म की स्टोरी-टेलिंग को और सटीक किया जा सकता जिससे ये सही मायने में देशभक्ति और रोमांच जगाए लेकिन ऐसा बेहद कम ही जगह पर देखने को मिला है। कुल मिलाकर ये फिल्म हमारे गौरवशाली महापुरुषों की कहानी और हमारा इतिहास है जिसके चलते इसे देखना चाहिए। इसी के साथ एक ऑडियंस होने के नाते आपको यहां भरपूर एंटरटेन मिलेगा।






