
बीजापुर में नक्सलवाद पर बड़ा प्रहार, फोटो (सो. आईएएनएस)
Chhattisgarh Naxal News: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही मुहिम को एक बड़ी कामयाबी मिली है। मंगलवार को कुल 34 माओवादी कैडरों ने हिंसा का रास्ता छोड़ते हुए पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में सात महिला और 27 पुरुष कैडर शामिल हैं, जिन पर कुल 84 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, ये माओवादी दक्षिण सब जोनल ब्यूरो, तेलंगाना स्टेट कमेटी और आंध्र-ओडिशा बॉर्डर (AOB) डिवीजन से जुड़े हुए थे। आत्मसमर्पण करने वालों में संगठन के कई वरिष्ठ और प्रभावशाली पदों पर रहे कैडर भी शामिल हैं। इनमें केरलापाल एरिया कमेटी के डिवीजनल कमेटी सदस्य, पीएलजीए कंपनी सदस्य, एरिया कमेटी सदस्य, मिलिशिया प्लाटून कमांडर, जनताना सरकार और अन्य संगठनों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष स्तर के लोग शामिल रहे।
पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वालों में पंडरू पूनेम उर्फ संजू जैसे बड़े नाम भी हैं, जिन पर आठ लाख रुपये का इनाम घोषित था। इसके अलावा रूकनी हेमला, देवा उईका, रामलाल पोयाम सहित कई अन्य कैडरों ने भी हथियार डाल दिए जिन पर पांच लाख से लेकर आठ लाख रुपये तक का इनाम था।
अधिकारियों ने बताया कि यह आत्मसमर्पण राज्य सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति, शांति संवाद और विकास आधारित प्रयासों का परिणाम है। विशेष रूप से पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन अभियान ने माओवादियों को हिंसक और जनविरोधी विचारधारा छोड़कर शांतिपूर्ण जीवन अपनाने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही सरकार की पुनर्वास नीति और ‘नियद नेल्ला नार’ योजना ने भी इन कैडरों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रोत्साहित किया।
पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज के मार्गदर्शन में जिले में चलाए जा रहे अभियानों के तहत डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, एसटीएफ, कोबरा और सीआरपीएफ के संयुक्त प्रयासों से यह सफलता हासिल हुई है। आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों ने बताया कि वे माओवादी संगठन की आंतरिक क्रूरता, दबाव और जनविरोधी गतिविधियों से तंग आ चुके थे।
आंकड़ों के मुताबिक, बीजापुर जिले में 1 जनवरी 2024 से अब तक कुल 824 माओवादी आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौट चुके हैं। इसी अवधि में 1079 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 220 अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए।
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पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने शेष माओवादियों से अपील की है कि वे भी हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण करें। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति आत्मसमर्पण करने वालों को सुरक्षित, सम्मानजनक और पुनर्वासयुक्त जीवन की पूरी गारंटी देती है। यह आत्मसमर्पण बस्तर क्षेत्र में शांति, विकास और स्थिरता की दिशा में एक और मजबूत कदम माना जा रहा है।
(IANS इनपुट के साथ)






