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मुंबई: महाराष्ट्र में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। सभी दलों ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर महाराष्ट्र के चुनावी रण में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इस बात से सबसे ज्यादा टेंशन बीजेपी को होने वाली है। ओपी राजभर की सुभासपा एनडीए की सहयोगी है। साथ ही ओपी राजभर उत्तर प्रदेश सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री भी हैं। लेकिन राजभर ने महाराष्ट्र के उत्तर भारतीयों को साधने की बात करते हुए भाजपा को अल्टीमेटम भी दे दिया है।
सुभासपा ने महाराष्ट्र में पैर जमाने के उद्देश्य से मुंबई से सटे मीरारोड में राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन किया। 21 व 22 अगस्त को मीरारोड पूर्व के भारत रत्न लता मंगेशकर नाट्य गृह में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। यहां ओम प्रकाश राजभर ने जो कुछ कहा उससे एनडीए का नेतृत्व करने वाली पार्टी भाजपा को झटका लग सकता है। या फि यूं कहें कि दोनों के बीच खटास आ सकती है।
अधिवेशन में दौरान ओपी राजभर ने महाराष्ट्र में बसे उत्तर भारतीयों के हक की लड़ाई लड़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि सुभासपा भी एनडीए का घटक दल है। एनडीए में उनकी भी पार्टी को यथोचित सम्मान और सहभागिता सुनिश्चित होनी चाहिए, इस पर भी विचार विमर्श किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश, बिहार के लोग बड़ी से संख्या में यहां रहते हैं, जो सुभासपा के विचारधारा को मानते हैं, उनको जोड़ने के लिए सदस्यता अभियान चलाया जाएगा।
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इसके साथ ही राजभर ने यह भी कहा कि उन्हें अगर उत्तर भारतीयों के सम्मान के लिए अकेले चलना पड़ा तो भी वह तैयार हैं। माना जा रहा है कि ओपी राजभर पार्टी के मुंबई अधिवेशन से एनडीए और खासकर बीजेपी पर दबाव बनाने की रणनीति है। ओपी राजभर उत्तर भारतीयों की बात करके महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एनडीए से सीटों की मांग कर सकते है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि महाराष्ट्र में ओपी राजभर की पार्टी को सहयोगी नहीं बनाया तो इसका असर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी पड़ सकता है।
महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन महायुति में बीजेपी के अलावा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना व अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल है। इसके अलावा रामदास आठवले रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया भी बीजेपी की सहयोगी है। विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी पहले ही पशोपेश में है। ऐसे में ओपी राजभर को भी महाराष्ट्र राजनीतिक पैठ बनाने के लिए सीटें देना बीजेपी के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
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राजनीतिक पंडितों को मानना है कि यदि भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को अपना सहयोगी नहीं बनाती है तो ओपी राजभर महाराष्ट्र में अकेले दम पर उम्मीदवार उतार सकते हैं। ऐसे में खासकर मुंबई में जहां उत्तर भारतीय मतदाताओं की संख्या ज्यादा है वहां बीजेपी को नुकसान हो सकता है। माना जा रहा है कि अधिवेशन के जरिए ओपी राजभर बीजेपी दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जिससे की विधानसभा चुनाव में सीटों की मांग कर सके। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी प्रेशर पॉलिटिक्स हैंडल करने में बेजोड़ मानी जाती है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र चुनाव में राजभर का क्या होने वाला है?