शाहपुर विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
ठाणे: महाराष्ट्र के तख्त पर कब्जा करने के लिए चुनावी महायुद्ध शुरू होने वाला है। चुनाव आयोग ने अभी भले ही अभी भीष्म पितामह की तरह शंखनाद नहीं किया है। लेकिन महारथी पूरी तरह से तैयार है। उन्हें बस इंतजार है कि कब चुनाव आयोग बिगुल फूंके और वह सियासी समरभूमि में कूद पड़ें। इस महायुद्ध में किस मोर्चे पर किसकी जय या पराजय होगी हम भी संजय की तरह इसके आकलन में लगे हुए हैं।
चुनाव से पहले हमारी कोशिश है कि हम हर एक मोर्च का विश्लेषण आप तक पहुंचा सकें। इस कड़ी में हम एक-एक सीट पर अब तक कैसा वोटिंग पैटर्न रहा। किसे कहां और कब जीत मिली? मुद्दे क्या रहे और इस बार क्या संभावनाएं हैं। जैसी बातों का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं शाहपुर विधानसभा सीट की। यह एक ऐसी विधासभा सीट है जहां पार्टियों ने रिपीट विक्ट्री तो दर्ज की है लेकिन कभी कोई हैट्रिक नहीं लगा सका है।
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साल 1972 यहां पहली बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की इसके बाद 1978 में यह सीट पीडब्ल्यूपी के हिस्से में चली गई। इसके बाद 1980, 1985 और 1990 में यहां महादु नागो बरोरा ने क्रमश: कांग्रेस (यू), आईसीएस और कांग्रेस से जीत दर्ज की। इसके बाद 1995 और 1999 में यहां शिवसेना ने कब्जा जमाया। फिर 2004 में एनसीपी ने बाजी मारी तो उसके बाद 2009 में फिर से शिवसेना ने वापसी की। जबकि 2014 और 2019 दोनों ही चुनावों में एनसीपी ने बाजी मारी है।
वर्ष | प्रत्याशी | पार्टी | कुल वोट |
---|---|---|---|
2019 | दौलत भीका दरोदा | एनसीपी | 76053 |
2014 | पांडुरंग महादु बरोरा | एनसीपी | 56813 |
2009 | दौलत भीका दरोदा | शिवसेना | 58334 |
2004 | महादु नागो बरोरा | एनसीपी | 47895 |
1999 | दौलत भीका दरोदा | शिवसेना | 29293 |
1995 | दौलत भीका दरोदा | शिवसेना | 52441 |
1990 | महादु नागो बरोरा | कांग्रेस | 34998 |
1985 | महादु नागो बरोरा | आईसीएस | 25711 |
1980 | महादु नागो बरोरा | कांग्रेस (यू) | 14156 |
1978 | कृष्णकांत रामचन्द्र तेलम | पीडब्लूपी | 20817 |
1972 | श्रीरंग राम शिंगे | कांग्रेस | 25983 |
आदिवासियों के लिए आरक्षित इस सीट पर आदिवासियों का ही दबदबा माना जाता है। 2019 के आंकड़ों के अनुसार कुल 2 लाख 50 हजार वोटर्स वाली इस सीट पर 1 लाख 2 हजार 292 मतदाता एसटी कैटेगरी से हैं। जो कि कुल वोट का लगभग 41 फीसदी है। वहीं, कुल वोट का लगभग 80 फीसदी हिस्सा ग्रामीण इलाकों से आता है। इस लिहाज से देखा जाए तो यहां सिर्फ आदिवासियों और गांव के मुद्दों को साध लेने वाले को विजयश्री मिल सकती है।
शाहपुर सीट ने अब तक कुल 11 विधानसभा चुनाव देखे हैं। इन चुनावों के वोटिंग पैटर्न और जीत हार का विश्लेषण करें तो एक बात यह निकलकर आती है कि यहां पर किसी भी पार्टी ने अब तक हैट्रिक नहीं जमाई है। ऐसे में अगर इस बार की बात करें तो यही प्रतीत होता है कि इस बार यहां शिवसेना के चांसेस हैं। लेकिन शिवसेना और एनसीपी में हुई दो फाड़ का फायदा कोई तीसरा भी उठा सकता है।
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