
हलबा क्रांति सेना ने लगाए होर्डिंग्स (फोटो-नवभारत)
नागपुर: विधानसभा चुनाव में लगभग सभी समाज द्वारा प्रतिनिधित्व की मांग की जा रही है। हाल ही में गोंड-गोवारी समाज ने अपनी मांगों को लेकर चेतावनी दी कि मांगें नहीं माने जाने पर पूरा समाज चुनाव का बहिष्कार करेगा। अब हलबा समाज के होर्डिंग्स सभी प्रमुख राजनीतिक दलों का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं। हलबा बहुल विस सीट मध्य नागपुर में हलबा क्रांति सेना की ओर से अनेक चौराहों पर ये होर्डिंग्स लगाए गए हैं जिसमें चेतावनी दी गई है कि अगर हलबा समाज के प्रतिनिधि को उम्मीदवारी नहीं दी गई तो संपूर्ण विदर्भ में संबंधित पार्टी के खिलाफ वोटिंग की जाएगी।
मध्य नागपुर में हलबा समाज मतदाता हर चुनाव में निर्णायक रहे हैं। इस सीट पर मुस्लिम समाज की संख्या भी बड़ी है। बीजेपी के विधायक विकास कुंभारे ने यहां से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। इससे ही हलबा समाज की ताकत साबित होती है। बीते वर्ष कांग्रेस ने बंटी शेलके को टिकट दी थी जिन्होंने कुंभारे को कड़ी टक्कर दी थी। इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से भी गैर हलबा उम्मीदवार का नाम चल रहा है जिसके चलते ही समाज में नाराजगी व्यक्त की जा रही है।
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मध्य नागपुर के साथ ही विदर्भ में अनेक विस क्षेत्रों में हलबा समाज परिणाम प्रभावित करने में सक्षम है। नागपुर शहर की 3 सीटों पर समाज को उम्मीदवारी देने की मांग उठती रही है लेकिन मध्य नागपुर को ही उम्मीदवारी दी गई। इस बार हलबा समाज को छोड़कर दूसरे को टिकट देने का एहसास होते ही समाज की ओर से आंदोलनात्मक भूमिका पर आने का निर्णय हलबा क्रांति सेना द्वारा लिया गया है।
क्रांति सेना ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसकी मांग के पीछे किसी खास पार्टी का विरोध या किसी व्यक्ति विशेष की लाबिंग नहीं है। वे चाहते हैं कि हलबा समाज की समस्याओं को विधानसभा में रखने वाला उनका अपनी प्रतिनिधि हो। फिर वह किसी भी पार्टी का हो। समाज की भूमिका रखने के लिए समाजबांधवों से अपनी ओर से चंदा देने की अपील की गई थी। सभी वर्ग के लोगों ने अपनी इच्छानुसार योगदान दिया जिससे निधि जमा हुई। उस निधि से ही यह अभियान शुरू किया गया है।
मध्य नागपुर के अलावा पूर्व नागपुर व नागभीड़ सीट में हलबा समाज की ताकत अपना उम्मीदवार चुनकर लाने की है। इसके अलावा सावनेर, उमरेड, रामटेक, काटोल, भंडारा, साकोली सहित 25 से 30 सीटों पर समाज अपने दम पर जीत भले न सके लेकिन किसी को भी पराजित करने की ताकत रखता है। यह दावा भी क्रांति सेना ने किया है।
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हलबा क्रांति सेना के नेता जगदीश खापेकर ने बताया कि राजनीतिक पार्टियों में शुरू हलचल से हलबा समाज को साइड करने की तस्वीर नजर आ रही है जो कदापि हमें मंजूर नहीं होगी। विधानसभा में प्रतिनिधित्व के लिए यह समाज का आंदोलन है। किसी के विरोध या किसी को लाभ पहुंचाने का उद्देश्य इसके पीछे नहीं। जरूरत पड़ी तो आमरण अनशन की भी तैयारी है।






