
धर्मराव बाबा आत्राम व भाग्यश्री आत्राम (डिजाइन फोटो)
गड़चिरोली, ब्यूरो: महज कुछ दिन पूर्व पिता-पुत्री साथ में थे। इस दौरान एक साथ लोकसभा व विधानसभा चुनाव का सामना करना तथा उससे जीत प्राप्त करना ऐसा दोनों का संकल्प था। लेकिन अचानक पुत्री ने पिता का साथ छोड़ा। जिससे दोनों के लिए जान की बाजी लगाने का दावा करने वाले कार्यकर्ता बेचैन नजर आ रहे हैं। पिता-पुत्री के चक्कर में घनचक्कर बने कार्यकर्ता किसका परचम हाथ में लें इस बात को लेकर पसोपेश में हैं। अहेरी विधानसभा क्षेत्र में यह स्थिति सभी को हैरान, परेशान करनेवाली है।
गड़चिरोली जिले की राजनीति में कद्दावर नाम धर्मरावबाबा आत्राम का है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वे बड़े नेता है। फिलहाल वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजित पवार गुट में है। अन्न व औषधि प्रशासन मंत्री के रूप में राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं। उनके साथ में अबतक गड़चिरोली जिले में उनकी बड़ी बेटी भाग्यश्री आत्राम-हलगेकर कार्यरत थी। स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में इन पिता-पुत्री का दबदबा था। इससे भाग्यश्री आत्राम को गड़चिरोली जिला परिषद के अध्यक्ष पद से लेकर सभापति पद तक व आगे गड़चिरोली विधानसभा चुनाव लड़ने तक मौका मिला। इन सभी राजनीतिक गतिविधियों में धर्मरावबाबा आत्राम का साथ था। लेकिन अब सभी राजनीतिक समीकरण बिगड़ गए हैं। पिता-पुत्री में दरार पड़ गई है जिससे कार्यकर्ताओं में बेचैनी दिखाई दे रही है।
धर्मरावबाबा आत्राम राष्ट्रवादी कांग्रेस की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। वहीं उनकी बड़ी भाग्यश्री आत्राम को अहेरी विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा था। साथ ही गड़चिरोली विधानसभा क्षेत्र में सीनेट सदस्य व धर्मरावबाबा की छोटी बेटी तनुश्री आत्राम का नाम भी चर्चा में आया था। लेकिन धर्मरावबाबा आत्राम को लोकसभा का टिकट नहीं मिला। जिससे उन्होने अहेरी विस क्षेत्र के चुनाव की तैयारी शुरू की। इससे पिता-पुत्री में विवाद की चिंगारी भड़क उठी ऐसी चर्चा है। इस विवाद से भाग्यश्री आत्राम ने धर्मरावबाबा आत्राम का साथ छोड़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार गुट) में प्रवेश किया। इसके लिए प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटिल व पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख गड़चिरोली जिले में दाखिल हुए थे।
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अब पिता-पुत्री के बीच दूरियां निर्माण होने के बाद दोनों ने अहेरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का मन बनाया है। इसके लिए दोनों छोर से तैयारी शुरू हुई है। धर्मरावबाबा आत्राम ने विस क्षेत्र में रहकर अपना प्रचार शुरू किया है। वहीं भाग्यश्री आत्राम ने भी इस विस क्षेत्र में अधिक से अधिक जनता तक पहुंचने का प्रयास शुरू किया है। यह खुली बगावत सभी के समक्ष है, लेकिन दोनों छोर के कार्यकर्ता बेचैन हुए है। अबतक धर्मरावबाबा आत्राम तथा भाग्यश्री आत्राम इनका एकत्रित राजनीतिक समीकरण कार्यकर्ताओं को भाया था। अब एक वक्त पर दोनों में दारार निर्माण होने से हम किसके पास जाएं, ऐसा सवाल कार्यकर्ताओं में निर्माण हुआ है। इससे अब हाथ में कौन सा परचम लें, ऐसी संभ्रम की स्थिति कार्यकर्ताओं में दिखाई दे रही है।
अखंड राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष तथा देश के पूर्व कृषि मंत्री शरदचंद्र पवार व उनके भतीजे, राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार में दरार के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस के 2 गुट निर्माण हुए। राकां का मूल पार्टी चिन्ह अजीत पवार को मिला। उस समय राज्य में पार्टी के समीकरण बदले। इसके पदचिन्ह गड़चिरोली जिले में भी दिखाई दे रहे है। जिले के शीर्ष नेता धर्मरावबाबा आत्राम ने अजित पवार के साथ जाना पसंद किया। उस समय भाग्यश्री आत्राम के साथ अनेक राष्ट्रवादी के नेता, पदाधिकारी व कार्यकर्ता धर्मरावबाबा आत्राम के साथ गए। लेकिन अब परिस्थिति बदली है। बारामती के पदचिन्ह अहेरी में दिखने की स्थिति है। लोकसभा चुनाव में ननद-भाभी के बीच हुई बारामती की लड़ाई का दृष्य अहेरी के राज परिवार में पिता-पुत्री के बीच होने की की संभावना है।






