मांझी विधानसभा चुनाव 2025 (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
Manjhi Vidhansabha Seat Profile:बिहार के सारण जिले की मांझी विधानसभा सीट आगामी चुनाव में एक बार फिर राजनीतिक दलों के लिए रणनीतिक रूप से अहम बन गई है। महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह सीट गंगा और घाघरा नदियों के संगम पर स्थित है, जिससे इसकी भौगोलिक स्थिति विशिष्ट बन जाती है। उपजाऊ भूमि और बाढ़ की आशंका यहां की राजनीति और जनजीवन दोनों को प्रभावित करती है।
मांझी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है। धान, दालें और सरसों यहां की प्रमुख फसलें हैं। पूरा निर्वाचन क्षेत्र ग्रामीण है, जहां शहरी जनसंख्या नहीं के बराबर है। धार्मिक दृष्टि से गोबरही गांव का शिव शक्ति धाम स्थानीय आस्था का केंद्र है, जहां सावन के महीने में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
मांझी विधानसभा क्षेत्र जातीय रूप से अत्यंत विविधतापूर्ण है। राजपूत समुदाय यहां सबसे बड़ा मतदाता वर्ग है, जिसके बाद मुसलमान, यादव, भूमिहार, कुर्मी और ब्राह्मण आते हैं। अनुसूचित जातियों की भी उल्लेखनीय भागीदारी है। कुशवाहा और कायस्थ जैसे अन्य सामाजिक समूह भी चुनावी समीकरणों को प्रभावित करते हैं, जिससे हर चुनाव में जातीय संतुलन निर्णायक भूमिका निभाता है।
1951 में गठित इस सीट ने कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव देखे हैं। पहले तीन चुनावों में कांग्रेस के गिरीश तिवारी ने जीत दर्ज की, जिसके बाद रामेश्वर दत्त शर्मा जैसे नेता भी पार्टी का प्रतिनिधित्व करते रहे। समय के साथ जनता दल, जेडीयू और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी जीत हासिल की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मतदाता लगातार नए विकल्पों की तलाश में रहते हैं।
2015 में कांग्रेस के विजय शंकर दूबे ने लोजपा के केशव सिंह को हराकर जीत दर्ज की थी। लेकिन 2020 में मांझी ने एक नया मोड़ लिया जब माकपा के सत्येंद्र यादव ने निर्दलीय राणा प्रताप सिंह को हराकर पहली बार यह सीट वामपंथी दल के खाते में डाली। उन्हें राजद-कांग्रेस-वाम गठबंधन का समर्थन प्राप्त था और सीट बंटवारे के तहत यह क्षेत्र माकपा को सौंपा गया था।
2008 में हुए परिसीमन के बाद मांझी विधानसभा क्षेत्र का नया स्वरूप तय किया गया। इसमें जलालपुर, मांझी और बनिया ब्लॉक के कई पंचायत क्षेत्रों को शामिल किया गया, जिनमें सरबिसरया, सीतलपुर, ताजपुर, बरेजा, मदन साथ, घोरहट, डुमारी, जैतपुर, इनायतपुर, नासिरा, बलेशरा, दाउदपुर, लेजुआर, बंगरा, सोनबरसा, मरहान, मांझी पूर्वी-पश्चिमी, कौरू-धौरू, करही, मानिकपुरा और लौवा कला जैसे गांव शामिल हैं।
मांझी विधानसभा सीट पर 2025 का चुनाव जातीय समीकरणों, गठबंधन की रणनीति और स्थानीय मुद्दों के बीच संतुलन साधने की चुनौती होगा। वामपंथी दल अपनी पहली जीत को दोहराने की कोशिश में हैं, जबकि कांग्रेस, राजद और जेडीयू जैसे दल फिर से अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बना रहे हैं। बाढ़, कृषि संकट और रोजगार जैसे मुद्दे इस बार भी मतदाताओं के फैसले को प्रभावित कर सकते हैं।
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मांझी विधानसभा सीट पर यह चुनाव केवल दलों की ताकत की परीक्षा नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन, भौगोलिक चुनौतियों और विकास की मांग का भी प्रतिबिंब होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वामपंथी दल अपनी जीत को बरकरार रख पाएंगे या कोई नया समीकरण इस सियासी तस्वीर को बदल देगा।