बेलापुर विधानसभा सीट का इतिहास
मुंबई: बेलापुर विधानसभा सीट महाराष्ट्र की 288 सीटों में से एक सीट है। यह सीट बीजेपी के लिए अहम सीट है। क्योंकि पिछले दो बार के चुनाव में बीजेपी ने यहां जीत हासिल की है। इस बार का चुनाव जीत कर बीजेपी हैट्रिक की कोशिश में है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 का ऐलान हो चुका है। 20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होने वाली है। 24 नवंबर को राज्य का राजनीतिक भविष्य तय हो जाएगा।
महाराष्ट्र के ठाणे जिले में स्थित बेलापुर विधानसभा सीट मंदा म्हात्रे भारतीय जनता पार्टी की तरफ से विधायक हैं। साल 2014 और 2019 का विधानसभा चुनाव मंदा म्हात्रे ने जीता था। 2014 में मंदा ने एनसीपी (अविभाजित) के अशोक अंकू गावड़े को हराया था। जबकि 2014 में मंदा ने एनसीपी (अविभाजित) के ही गणेश नाइक को मात दी थी।
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बेलापुर विधानसभा सीट का इतिहास
1978 में पहली बार हुए चुनाव में इस सीट पर गौतम भोईर ने जीत हासिल की थी, जो जनता पार्टी के उम्मीदवार थे। जनता पार्टी महज एक बार ही यहां से चुनाव जीतने में कामयाब हुई। जिसके बाद दो बार कांग्रेस, तीन बार शिवसेना, दो बार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और दो बार भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट से जीत हासिल की है। 15 साल तक की सीट पर जीत दर्ज करने वाली शिवसेना करीब 20 साल से सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। वहीं 10 साल तक इस सीट पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस करीब 40 साल से इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है।
बेलापुर विधानसभा सीट पर कब किसने मारी बाजी
2019: मंदा विजय म्हात्रे, भाजपा
2014: मंदा विजय म्हात्रे, भाजपा
2009: गणेश नाइक, राकांपा
2004: गणेश नाइक, राकांपा
1999: सीताराम भोईर, एसएचएस
1995: गणेश रामचंद्र नाइक, एसएचएस
1990: गणेश रामचंद्र नाइक, एसएचएस
1985: गौरी जनार्दन शांता राम, कांग्रेस
1980: भगत बालाजी काठोड़, कांग्रेस(आई)
1978: भोईर गौतम पोषा, जेएनपी
बेलापुर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण
बेलापुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3,80,000 के आसपास है। यह एक साधारण सीट है। कुल मतदाताओं में अनुसूचित जाति की जनसंख्या करीब 6% तो वहीं अनुसूचित जनजाति समुदाय की जनसंख्या 1.42 प्रतिशत के आसपास है। मुस्लिम वोटर यहां 8% के आसपास है और यह इलाका पूरी तरह से शहरी इलाका है। यहां 100 फीसदी आबादी शहर में निवास करती है। ऐसे में यहां मतदाताओं को रिझाना उम्मीदवारों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि किसी विशेष समुदाय के लोगों को खुश करके यहां जीत हासिल नहीं की जा सकती।